मार्च तिमाही में एफडीआई 24.5 प्रतिशत घटा, पूरे वित्त वर्ष में 13 प्रतिशत बढ़ा
मार्च तिमाही में एफडीआई 24.5 प्रतिशत घटा, पूरे वित्त वर्ष में 13 प्रतिशत बढ़ा
नयी दिल्ली, 27 मई (भाषा) देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) वित्त वर्ष 2024-25 की जनवरी-मार्च तिमाही में सालाना आधार पर 24.5 प्रतिशत घटकर 9.34 अरब डॉलर रह गया। मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई।
हालांकि, पूरे वित्त वर्ष (2024-25) के दौरान देश में एफडीआई का प्रवाह 13 प्रतिशत बढ़कर 50 अरब डॉलर हो गया। वित्त वर्ष 2023-24 में यह 44.42 अरब डॉलर था।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मार्च तिमाही में एफडीआई का प्रवाह 9.34 अरब डॉलर रहा जो जनवरी-मार्च 2023-24 के दौरान आए 12.38 अरब डॉलर एफडीआई से कम है।
पिछले वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भी वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण एफडीआई प्रवाह सालाना आधार पर 5.6 प्रतिशत घटकर 10.9 अरब डॉलर रहा था।
वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान कुल एफडीआई 14 प्रतिशत बढ़कर 81.04 अरब डॉलर हो गया। यह पिछले तीन वर्षों में सबसे अधिक है। वित्त वर्ष 2023-24 में यह 71.3 अरब डॉलर रहा था।
कुल एफडीआई में इक्विटी प्रवाह, दोबारा निवेश की गई आय और अन्य पूंजी शामिल होती है।
वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान सिंगापुर 14.94 अरब डॉलर प्रवाह के साथ एफडीआई का सबसे बड़ा स्रोत बनकर उभरा। इसके बाद मॉरीशस (8.34 अरब डॉलर), अमेरिका (5.45 अरब डॉलर), नीदरलैंड (4.62 अरब डॉलर), यूएई (3.12 अरब डॉलर), जापान (2.47 अरब डॉलर), साइप्रस (1.2 अरब डॉलर), ब्रिटेन (79.5 करोड़ डॉलर), जर्मनी (46.9 करोड़ डॉलर) और केमैन आइलैंड्स (37.1 करोड़ डॉलर) का स्थान रहा।
हालांकि, इन आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2023-24 के मुकाबले 2024-25 में नीदरलैंड, जापान, ब्रिटेन और जर्मनी से आने वाले एफडीआई में कमी आई है।
भारत में आने वाले एफडीआई में सिंगापुर की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत, मॉरीशस की 17 प्रतिशत और अमेरिका की 11 प्रतिशत है।
क्षेत्रवार आंकड़ों के हिसाब से सेवाओं, व्यापार, दूरसंचार, वाहन, निर्माण विकास, गैर-पारंपरिक ऊर्जा और रसायनों में एफडीआई प्रवाह बढ़ा।
हालांकि, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर, निर्माण (बुनियादी ढांचा गतिविधियां) और दवा क्षेत्रों में एफडीआई घटा है।
आंकड़ों के मुताबिक, 2024-25 के दौरान सेवा खंड में एफडीआई बढ़कर 9.34 अरब डॉलर हो गया जबकि 2023-24 में यह 6.64 अरब डॉलर था।
गैर-पारंपरिक ऊर्जा में एफडीआई प्रवाह 2023-24 में 3.76 अरब डॉलर था जो पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर चार अरब डॉलर हो गया।
आंकड़ों से पता चला है कि वित्त वर्ष 2024-25 में महाराष्ट्र को सबसे अधिक 19.6 अरब डॉलर का एफडीआई हासिल हुआ। इसके बाद कर्नाटक (6.61 अरब डॉलर), दिल्ली (छह अरब डॉलर), गुजरात (लगभग 5.7 अरब डॉलर), तमिलनाडु (3.68 अरब डॉलर), हरियाणा (3.14 अरब डॉलर) और तेलंगाना (2.99 अरब डॉलर) का स्थान रहा।
कुल एफडीआई इक्विटी प्रवाह में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी सबसे अधिक 39 प्रतिशत रही जबकि कर्नाटक की 13 प्रतिशत और दिल्ली की 12 प्रतिशत हिस्सेदारी रही।
भाषा प्रेम प्रेम पाण्डेय
पाण्डेय

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