आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये वित्तीय नियामकों की सोच में बदलाव जरूरी: अमिताभ कांत

आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये वित्तीय नियामकों की सोच में बदलाव जरूरी: अमिताभ कांत

आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिये वित्तीय नियामकों की सोच में बदलाव जरूरी: अमिताभ कांत
Modified Date: November 29, 2022 / 08:05 pm IST
Published Date: November 23, 2022 10:37 pm IST

मुंबई, 23 नवंबर (भाषा) भारत के जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने बुधवार को कहा कि वित्तीय नियामकों को ‘समाजवादी युग’ में तैयार किया गया था और आर्थिक वृद्धि में सहायता के लिए इन नियामकों की सोच में बदलाव की जरूरत है।

कांत एक पेशेवर नौकरशाह है। वह कुछ समय पहले तक नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) थे।

उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा कि कुछ नेता मुफ्त बिजली जैसी सुविधाएं देकर देश को ‘बर्बाद’ कर रहे हैं।

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कांत ने एसबीआई के वार्षिक सम्मेलन में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) या यहां तक ​​कि भारत के प्रतिस्पर्धी आयोग जैसे वित्तीय क्षेत्र के नियामकों को ‘विकास और परिवर्तन एजेंटों’ के रूप में कार्य करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘नियामकों को भी एक विशेष अवधि में तैयार किया गया था। तब हम एक समाजवादी युग से गुजर रहे थे और इसलिए मेरा मानना ​​है कि कई नियामकों की सोच में बदलाव की काफी आवश्यकता है।’’

भाषा जतिन रमण

रमण


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