राजनीतिक विवाद के बीच एफएसएसएआई ने दही पर क्षेत्रीय नामों के लेबल की अनुमति दी

राजनीतिक विवाद के बीच एफएसएसएआई ने दही पर क्षेत्रीय नामों के लेबल की अनुमति दी

राजनीतिक विवाद के बीच एफएसएसएआई ने दही पर क्षेत्रीय नामों के लेबल की अनुमति दी
Modified Date: March 30, 2023 / 04:25 pm IST
Published Date: March 30, 2023 4:25 pm IST

नयी दिल्ली, 30 मार्च (भाषा) भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं नियामक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने बृहस्पतिवार को अपने आदेश में संशोधन किया और तमिलनाडु में राजनीतिक विवाद के बीच दही के पैकेटों के मुद्रित लेबल में क्षेत्रीय नामों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी।

एफएसएसएआई ने बयान में कहा, ‘‘खाद्य कारोबार परिचालकों (एफबीओ) को अब लेबल पर कोष्ठकों में किसी अन्य प्रचलित क्षेत्रीय सामान्य नाम के साथ ‘दही’ शब्द का उपयोग करने की अनुमति है। उदाहरण के लिए, ‘दही (दही)’ या ‘दही (मोसरू), ‘दही (ज़ामुतदौद)’, ‘दही (थायिर)’, ‘दही (पेरुगु)’ का उपयोग किया जा सकता है।’’

किण्वित (फर्मेन्टेड) दुग्ध उत्पादों के मानकों से ‘दही’ शब्द को हटाने पर हाल ही में प्राप्त विभिन्न अभ्यावेदन के बाद आदेश को संशोधित किया गया है और केवल ‘दही’ शब्द का उल्लेख किया गया है।

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विवाद तब शुरू हुआ जब तमिलनाडु सहकारी दुग्ध उत्पादक महासंघ – जो आविन ब्रांड नाम से डेयरी उत्पाद बेचता है – ने एफएसएसएआई के निर्देशानुसार अपने मुद्रित पाउच में हिंदी शब्द ‘दही’ का उपयोग करने से इनकार कर दिया और कहा कि यह केवल तमिल शब्द ‘थाईर’ तक ही सीमित रहेगा।

बुधवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने इस कदम को ‘‘हिंदी थोपने’’ के प्रयास के रूप में बताया। डेयरी विकास मंत्री एसएम नसर ने कहा कि सरकार को अगस्त से पहले निर्देश लागू करने के लिए एक पत्र मिला था।

स्टालिन ने ट्वीट में कहा, ‘‘हिंदी थोपने की जिद हमें एक दही के पैकेट पर भी हिंदी में लेबल लगाने के लिए निर्देशित करने की हद तक पहुंच गई है, हमारे अपने राज्यों में तमिल और कन्नड़ शब्द को हटा दिया गया है। हमारी मातृभाषाओं के लिए इस तरह का बर्ताव यह सुनिश्चित करेगा कि जिम्मेदार लोगों को दक्षिण से हमेशा के लिए भगा दिया जाए।

भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख के अन्नामलाई ने कहा है कि अधिसूचना क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने की केंद्र की नीति के अनुरूप नहीं थी।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय


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