भारत में कोयले का भविष्य उज्ज्वल, प्रौद्योगिकी से मिलेगी मदद : फ्यूचरकोल

भारत में कोयले का भविष्य उज्ज्वल, प्रौद्योगिकी से मिलेगी मदद : फ्यूचरकोल

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  • Publish Date - November 20, 2023 / 05:35 PM IST,
    Updated On - November 20, 2023 / 05:35 PM IST

नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) भारत में कोयले के अधिक टिकाऊ ढंग से खनन, उपयोग एवं दहन में मदद करने वाली प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल होने से इस शुष्क ईंधन का उज्ज्वल भविष्य है। फ्यूचरकोल ने सोमवार को यह बात कही।

कोयला जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अहम घटक माना जाता है। इसके दहन से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैस का वैश्विक उत्सर्जन में करीब 30 प्रतिशत हिस्सा है।

फ्यूचरकोल के बोर्ड सदस्य सुनील चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘भारत में कोयले का भविष्य उज्ज्वल है। हमारा मानना है कि ऐसी प्रौद्योगिकी उपलब्ध हैं, जो भारत को अधिक टिकाऊ ढंग से कोयला निकालने, उसका अधिक टिकाऊ उपयोग करने, उसे अधिक टिकाऊ ढंग से जलाने और दहन के बाद निपटारे में मदद कर सकती हैं। इससे कोयले से कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन में 99 प्रतिशत तक कमी की जा सकती है।”

फ़्यूचरकोल ग्लोबल अलायंस समूची मूल्य श्रृंखला का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन है। यह जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल के बारे में जागरूकता फैला रहा है।

चतुर्वेदी ने कहा कि 70 प्रतिशत बिजली उत्पादन कोयले से होता है लेकिन भारत पिछले 15 साल में सुपर-क्रिटिकल और अल्ट्रा-सुपर क्रिटिकल प्रौद्योगिकियों की तरफ बढ़ा है। इसका मतलब है कि एक देश के रूप में भारत कहीं बेहतर, कुशलतापूर्वक और कम प्रदूषणकारी तरीके से कोयले का दहन कर रहा है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2030 तक ताप विद्युत की हिस्सेदारी घटकर 30-35 प्रतिशत के करीब होने पर भी भारत को 1.5 अरब टन कोयले की जरूरत होगी। ऐसी स्थिति में भारत को कोयले का उत्पादन बढ़ाना ही होगा।

फ्यूचरकोल की मुख्य कार्यकारी मिशेल मनूक ने भारत में कोयले का भविष्य रोमांचक बताते हुए कहा, ‘‘बिजली, इस्पात, सीमेंट, एल्युमीनियम, रसायन और नवीकरणीय बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में कोयला मूल्य श्रृंखला का कुल योगदान सैकड़ों अरब है और यह एक-दूसरे से जुड़ी हुई वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला है।’’

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय