वैश्विक बदलाव भारत के पक्ष में, समावेशी वृद्धि एक चुनौती: एन चंद्रशेखरन

वैश्विक बदलाव भारत के पक्ष में, समावेशी वृद्धि एक चुनौती: एन चंद्रशेखरन

वैश्विक बदलाव भारत के पक्ष में, समावेशी वृद्धि एक चुनौती: एन चंद्रशेखरन
Modified Date: December 18, 2023 / 09:27 pm IST
Published Date: December 18, 2023 9:27 pm IST

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) सभी वैश्विक बदलाव भारत के पक्ष में काम कर रहे हैं, लेकिन देश के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में एक समावेशी वृद्धि की है। टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने सोमवार को यह बात कही।

टाटा समूह के प्रमुख ने जेआरडी टाटा व्याख्यान में कहा कि कृत्रिम मेधा (एआई) का प्रभाव रहेगा और अगर भारत ने इसके लिए तैयारी की, तो यह फायदेमंद होगा।

उन्होंने कहा कि शीत युद्ध के बाद तुलनात्मक रूप से स्थिर और समृद्धि दौर के विपरीत अब ऐसा लगता है कि दुनिया ने अप्रत्याशित संघर्षों और आर्थिक अनिश्चितता को रास्ता दे दिया है। महामारी के चलते आपूर्ति श्रृंखला को भारी झटका लगा है।

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चन्द्रशेखरन ने कहा, ”विशेष रूप से विकसित बाजारों में आर्थिक नरमी थी। हालात स्थिर होते हुए दिख रहे थे, लेकिन अब हम दो युद्धों के बीच में हैं और अमेरिका-चीन व्यापार गतिरोध चल रहा है।”

उन्होंने कहा कि कई महत्वपूर्ण वैश्विक बदलाव भी हो रहे हैं। खासकर एआई, ऊर्जा और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्र में ऐसा हो रहा है।

उन्होंने जोर देकर कहा, ”ये सभी परिवर्तन वृद्धि, नवाचार और अतीत से बेहतर नया भविष्य बनाने के लिए अवसर देते हैं। इस लिहाज से भारत महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। आर्थिक रूप से, हम पहले ही पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। कई चीजें हमारे पक्ष में काम कर रही हैं।”

चंद्रशेखरन ने भारत की मजबूत व्यापक स्थिरता, एक स्वस्थ बैंकिंग प्रणाली, निर्यात की बढ़ती हिस्सेदारी, निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में नए पूंजीगत व्यय चक्र, बढ़ती खपत और मजबूत सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचा का हवाला देते हुए कहा कि सभी वैश्विक बदलाव भारत के पक्ष में काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ”खासकर आज की अनिश्चित दुनिया में हमारे पास वैश्विक ताकत बनने की क्षमता है… हमारे सामने कई चुनौतियां हैं। हमारी प्रति व्यक्ति जीडीपी वैश्विक औसत से 60 प्रतिशत कम है। राज्यों में प्रति व्यक्ति आय में अंतर बहुत बड़ा है।”

चंद्रशेखरन ने आगे कहा कि कुल श्रम बल में महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 37 प्रतिशत हैं और उन्हें समान काम के लिए अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में 35 प्रतिशत कम वेतन मिलता है।

उन्होंने कहा, ”समावेशी विकास हमारी सबसे बड़ी चुनौती रही है। हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि सभी तक बुनियादी शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच हो।”

चन्द्रशेखरन ने यह भी कहा कि एक तरफ हमारे पास अत्यधिक कुशल लोगों का एक बड़ा समूह है, तो दूसरी तरफ अकुशल लोगों की संख्या भी बहुत बड़ी है।

उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर लड़की को भी लड़कों की तरह समान अवसर मिले।

भाषा पाण्डेय रमण

रमण


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