अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों के चीन में कारखाने लगाने,भारत में लोगों को काम देने के दिन लद गए:ट्रंप

अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों के चीन में कारखाने लगाने,भारत में लोगों को काम देने के दिन लद गए:ट्रंप

अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों के चीन में कारखाने लगाने,भारत में लोगों को काम देने के दिन लद गए:ट्रंप
Modified Date: July 24, 2025 / 10:38 am IST
Published Date: July 24, 2025 10:38 am IST

(फाइल फोटो के साथ)

(योषिता सिंह)

न्यूयॉर्क/वॉशिंगटन, 24 जुलाई (भाषा) अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन में कारखाने लगाने और भारत में लोगों को काम पर रखने के लिए अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों की आलोचना की और आगाह किया कि उनके राष्ट्रपति कार्यकाल में ऐसा करने के ‘‘दिन अब लद चुके हैं।’’

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ट्रंप ने यह टिप्पणी बुधवार को एआई शिखर सम्मेलन में की, जहां उन्होंने कृत्रिम मेधा (एआई) से संबंधित तीन कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए। इसमें एआई के उपयोग के लिए व्हाइट हाउस (अमेरिकी राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास एवं कार्यालय) की कार्य योजना भी शामिल है।

उन्होंने कहा कि बहुत लंबे समय तक अमेरिका का अधिकतर प्रौद्योगिकी उद्योग ‘‘कट्टरपंथी वैश्वीकरण’’ का अनुसरण करता रहा, जिसके कारण लाखों अमेरिकी ‘‘ठगा’’ महसूस करते रहे।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ हमारी कई बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों ने चीन में अपने कारखाने बनाकर, भारत में मजदूरों को नौकरी देकर और आयरलैंड में मुनाफे में कटौती करके अमेरिकी आजादी का फायदा उठाया है। इन सभी के बीच उन्होंने अपने ही देश में अपने साथी नागरिकों को बरगलाने और यहां तक कि उन पर ‘सेंसरशिप’ (नियंत्रित करने) लगाने का काम किया है। राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल में, वे दिन अब लद गए हैं।’’

ट्रंप ने कहा, ‘‘ एआई की दौड़ जीतने के लिए सिलिकॉन वैली और उससे भी आगे तक देशभक्ति और राष्ट्रीय निष्ठा की एक नई भावना की आवश्यकता होगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हमें अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियों की जरूरत है जो अमेरिका के लिए पूरी तरह से समर्पित हों। हम चाहते हैं कि आप अमेरिका को प्राथमिकता दें। आपको ऐसा करना ही होगा। हम बस यही चाहते हैं।’’

ट्रंप ने इस मौके पर एआई से संबंधित तीन कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए। इसमें व्हाइट हाउस कार्ययोजना भी शामिल है, जो अमेरिकी एआई प्रौद्योगिकी ‘पैकेज’ के निर्यात को बढ़ावा देकर अमेरिकी एआई उद्योग को समर्थन देने के लिए एक समन्वित राष्ट्रीय प्रयास स्थापित करता है।

भाषा निहारिका मनीषा

मनीषा


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