सरकार ने थोक उपभोक्ताओं के लिए एफसीआई गेहूं का आरक्षित मूल्य घटाकर 2,150 रुपये प्रति क्विंटल किया |

सरकार ने थोक उपभोक्ताओं के लिए एफसीआई गेहूं का आरक्षित मूल्य घटाकर 2,150 रुपये प्रति क्विंटल किया

सरकार ने थोक उपभोक्ताओं के लिए एफसीआई गेहूं का आरक्षित मूल्य घटाकर 2,150 रुपये प्रति क्विंटल किया

:   Modified Date:  February 17, 2023 / 06:52 PM IST, Published Date : February 17, 2023/6:52 pm IST

नयी दिल्ली, 17 फरवरी (भाषा) सरकार ने गेहूं कीमतों पर अंकुश लगाने के मकसद से शुक्रवार को खुली बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत थोक उपभोक्ताओं के लिए एफसीआई गेहूं का आरक्षित मूल्य घटाकर 2,150 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया।

खाद्य मंत्रालय के अनुसार, उपयुक्त और औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) गेहूं का आरक्षित मूल्य घटाकर 2,150 रुपये कर दिया गया है, जबकि कुछ कमजोर गुणवत्ता वाले (यूआरएस) गेहूं का आरक्षित मूल्य 2,125 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है।

मंत्रालय ने कहा कि ये दरें 31 मार्च तक लागू रहेंगी।

राज्य द्वारा संचालित भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ओएमएसएस के तहत थोक उपयोगकर्ताओं को 25 लाख टन गेहूं की बिक्री कर रहा है।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘आरक्षित मूल्य में कमी से उपभोक्ताओं के लिए गेहूं और गेहूं उत्पादों के बाजार मूल्य को कम करने में मदद मिलेगी।’’

इसमें कहा गया है कि राज्यों को ई-नीलामी में भाग लिए बिना प्रस्तावित आरक्षित मूल्य से ऊपर अपनी योजना के लिए एफसीआई से गेहूं खरीदने की अनुमति है।

मंत्रालय ने 10 फरवरी को मालभाड़ा शुल्क खत्म कर दिया था और ई-नीलामी के जरिए पूरे भारत में थोक उपभोक्ताओं के लिए एफसीआई गेहूं का आरक्षित मूल्य समान रूप से 2,350 रुपये प्रति क्विंटल रखा था।

इसने नेफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार जैसे संस्थानों को दिए जाने वाले एफसीआई गेहूं की कीमत भी 23.50 रुपये प्रति किलोग्राम से घटाकर 21.50 रुपये प्रति किलोग्राम कर दी थी। इन संस्थानों को अनाज को आटे में बदलने के लिए गेहूं की पेशकश की गई और इसे 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम के बजाय 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम के अधिकतम खुदरा मूल्य पर बेचा गया।

एफसीआई ने 1-2 फरवरी और 15 फरवरी के दौरान आयोजित पहली दो ई-नीलामी के दौरान 25 लाख टन में से 13.11 लाख टन गेहूं व्यापारियों, आटा मिलों आदि को पहले ही बेच दिया है। अगली नीलामी 22 फरवरी को होगी।

पिछले महीने, सरकार ने गेहूं और गेहूं आटे की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए खुली बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत अपने बफर स्टॉक से 30 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचने की योजना की घोषणा की थी।

गेहूं के 30 लाख टन में से, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ई-नीलामी के माध्यम से 25 लाख टन गेहूं को आटे में बदलने के लिए आटा चक्की जैसे थोक उपभोक्ताओं को बेचेगा, 2 लाख टन राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को और 3 लाख टन संस्थानों और राज्यों के सार्वजनिक उपक्रमों को रियायती दर पर दिया जाएगा।

खाद्यान्न की खरीद और वितरण के लिए सरकार की नोडल एजेंसी एफसीआई के पास बफर स्टॉक में 26 जनवरी तक लगभग 156.96 लाख टन गेहूं था।

एक अप्रैल को, देश के पास 75 लाख टन के बफर मानक की आवश्यकता के ठीक ऊपर, 96 लाख टन का गेहूं का स्टॉक होगा।

ओएमएसएस नीति के तहत, सरकार एफसीआई को थोक उपभोक्ताओं और निजी व्यापारियों को समय-समय पर खुले बाजार में पूर्व निर्धारित कीमतों पर खाद्यान्न, विशेष रूप से गेहूं और चावल बेचने की अनुमति देती है।

इसका उद्देश्य बेमौसम के दौरान आपूर्ति को बढ़ावा देना और सामान्य खुले बाजार की कीमतों को कम करना है।

घरेलू उत्पादन में मामूली गिरावट और केंद्रीय पूल के लिए एफसीआई की खरीद में भारी गिरावट के बाद कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र ने पिछले साल मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

भारत का गेहूं उत्पादन फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में पिछले वर्ष के 10 करोड़ 95.9 लाख टन से घटकर 10 करोड़ 68.4 लाख टन रह गया, जो कुछ राज्यों में लू चलने के कारण हुआ।

पिछले साल के लगभग 4.3 करोड़ टन की खरीद के मुकाबले इस साल खरीद काफी घटकर 1.9 करोड़ टन रह गई।

हालांकि, इस साल गेहूं का उत्पादन 11 करोड़ 21.8 लाख टन के नए रिकॉर्ड पर पहुंचने का अनुमान है। 15 मार्च से गेहूं की नई फसल की खरीद शुरू होगी।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण

 

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