सरकार ने मसूर दाल पर शून्य आयात शुल्क, कृषि-उपकर छूट को मार्च, 2025 तक बढ़ाया |

सरकार ने मसूर दाल पर शून्य आयात शुल्क, कृषि-उपकर छूट को मार्च, 2025 तक बढ़ाया

सरकार ने मसूर दाल पर शून्य आयात शुल्क, कृषि-उपकर छूट को मार्च, 2025 तक बढ़ाया

:   Modified Date:  December 22, 2023 / 08:17 PM IST, Published Date : December 22, 2023/8:17 pm IST

नयी दिल्ली, 22 दिसंबर (भाषा) सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार से प्रमुख मसूर दलहन की सतत आपूर्ति सुनिश्चित करने और घरेलू कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए मसूर दाल (मसूर) पर वर्तमान प्रभावी शून्य आयात शुल्क की समयसीमा को मार्च, 2025 तक बढ़ा दिया है।

हालांकि, सरकार ने तीन कच्चे खाद्य तेलों – पाम तेल, सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल – पर मौजूदा आयात शुल्क संरचना को नहीं बढ़ाया है।

वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, मसूर पर शून्य आयात शुल्क के साथ-साथ 10 प्रतिशत कृषि-बुनियादी ढांचा उपकर की छूट मार्च, 2025 तक बढ़ा दी गई है।

मसूर पर यह छूट मार्च, 2024 तक वैध थी।

उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘कुछ दालों का उत्पादन उतना नहीं है जितना हम उपभोग करते हैं।’’ आयात नीति की स्थिरता के लिए मसूर पर मौजूदा छूट को मार्च, 2025 तक बढ़ा दिया गया है ताकि उत्पादक देशों के किसानों को भारत से स्पष्ट संकेत मिल सके और वे अपनी बुवाई की योजना बना सकें।’’

जुलाई, 2021 में मसूर पर मूल आयात शुल्क शून्य कर दिया गया था, जबकि फरवरी, 2022 में 10 प्रतिशत कृषि-बुनियादी ढांचा उपकर से छूट दी गई थी। तब से, इसे कई बार बढ़ाया गया और वर्तमान में यह मार्च, 2024 तक वैध था।

वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि अधिसूचना केवल मसूर के लिए शून्य शुल्क और कृषि-बुनियादी ढांचा उपकर की छूट बढ़ाने के लिए है, तीन कच्चे खाद्य तेलों के लिए नहीं।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक और आयातक देश है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारत ने 24.96 लाख टन दलहन का आयात किया था।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

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