कराची, 22 मई (भाषा) पहले से ही लागत बढ़ोतरी से परेशान पाकिस्तान का आम उत्पादन लगातार तीसरे साल जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और 2024 के लिए कम किए गए निर्यात लक्ष्य के कारण काफी कम होने वाला है।
उद्योग के अगुवा, फल किसान, निर्यातक और मौसम वैज्ञानिक सभी जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंतित हैं, जिससे न केवल आम की पैदावार कम होगी बल्कि विदेशी मुद्रा भी घटेगी। उन्होंने दावा किया है कि सरकार ने नुकसान को कम करने के लिए कुछ नहीं किया है।
ऑल पाकिस्तान फ्रूट एंड वेजिटेबल एक्सपोर्टर्स, इम्पोर्टर्स, मर्चेंट्स एसोसिएशन ने चालू सत्र में 1,00,000 टन आम निर्यात का लक्ष्य रखा है, लेकिन उनका कहना है कि वे शायद इसे हासिल भी न कर पाएं। इस लक्ष्य से लगभग नौ करोड़ डॉलर की निर्यात आय प्राप्त होगी।
पाकिस्तान का आम मुख्य रूप से चीन, अमेरिका, तुर्की, जापान, ईरान, अफगानिस्तान, यूएई, सऊदी अरब और मध्य एशियाई देशों को निर्यात किया जाता है। अपनी कई किस्मों, गुणवत्ता और स्वाद के कारण आम पाकिस्तान से सबसे ज़्यादा निर्यात किए जाने वाला फल है।
एसोसिएशन के प्रमुख सलीम वहीद अहमद ने कहा, ‘‘आम उद्योग और निर्यातक आमतौर पर 20 मई से अपने-अपने गोदामों में निर्यात प्रक्रिया शुरू करते हैं। लेकिन इस साल जलवायु परिवर्तन और अन्य समस्याओं के कारण फिर से देरी हो रही है।’’
पंजाब प्रांत के खानेवाल के सबसे बड़े फल उत्पादकों में से एक शेराज़ मकसूद ने पीटीआई-भाषा को बताया कि इस साल जलवायु परिवर्तन सहित कई कारणों से पंजाब प्रांत में आम का उत्पादन लगभग 30-35 प्रतिशत कम हुआ है, जबकि सिंध में यह उत्पादन 20 प्रतिशत कम है।
उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान में सबसे ज़्यादा आम पंजाब प्रांत में होता है। इसका हिस्सा कुल उत्पादन में करीब 70 प्रतिशत है। सिंध 29 प्रतिशत और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत एक प्रतिशत उत्पादन करता है। कुल मिलाकर सालाना लगभग 18 लाख टन आम उत्पादन होता है।’’
उन्होंने कहा कि उत्पादन का अधिकांश हिस्सा स्थानीय बाज़ार में ही खप जाता है।
कराची में सबसे बड़े आम निर्यात व्यवसायों में से एक के मालिक अली जिया ने कहा, ‘‘पिछले साल का निर्यात लक्ष्य लगभग 25,000 टन कम हो गया था और उससे पहले के वर्ष में भी लगभग इतना ही कम था। बदलती जलवायु के कारण इस वर्ष छह लाख टन की कमी की आशंका थी।”
हालांकि, उन्होंने कहा कि मौसम के बढ़ने के साथ अनुमान बदल सकता है।
उन्होंने कहा, “हमारे पास हर साल औसतन 1,25,000 टन निर्यात होता था। इस साल, हमने निर्यात लक्ष्य को संशोधित कर 1,00,000 टन कर दिया है।”
यहां मौसम विज्ञान और भूभौतिकी संस्थान के उप निदेशक और मौसम वैज्ञानिक वाश देव खत्री ने आम और अन्य फलों और सब्जियों के उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझाते हुए कहा, “पाकिस्तान के कई हिस्सों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव बहुत स्पष्ट हैं … जिसका अर्थ है, हमारे पास लंबी सर्दियां, अधिक वर्षा, गरज और अचानक बाढ़ आ रही है और गर्मियों की शुरुआत देर से हुई है, लेकिन गर्मी बढ़ गई है।”
भाषा राजेश राजेश अजय
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