नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) वित्तीय सेवा सचिव देबाशीष पांडा ने मंगलवार को कहा कि इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल) को बुनियादी संरचना के त्वरित वित्तपोषण के लिये स्थापित किये जा रहे नये विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) में मिलाया जा सकता है।
सोमवार को संसद में पेश केंद्रीय बजट 2021-22 में महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) के वित्तपोषण को आवश्यक 111 लाख करोड़ रुपये जुटाने के लिये 20 हजार करोड़ रुपये की प्रारंभिक पूंजी के साथ एक विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया है।
उन्होंने कहा कि नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (एनएबीएफआईडी) और प्रस्तावित डीएफआई महत्वाकांक्षी एनआईपी को आगे बढ़ायेगा।
एनआईपी के तहत 2020-25 के दौरान 111 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ लगभग सात हजार परियोजनाओं की पहचान की गयी है।
पांडा ने कहा, ‘‘आईआईएफसीएल को एक त्वरित शुरुआत के लिये नये वित्तीय संस्थान में रखा जा सकता है, क्योंकि उनके पास पहले से ही इस क्षेत्र की कुछ विशेषज्ञता है। उनके पास श्रमबल भी है, जो पहले से ही इस क्षेत्र में प्रशिक्षित और अनुभवी हैं।’’
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित डीएफआई भारतीय रिजर्व बैंक की नियामकीय निगरानी में रहेगा और धीरे-धीरे कंपनी में सरकारी हिस्सेदारी 26 प्रतिशत तक लायी जायेगी।
उन्होंने निजी क्षेत्र की भूमिका पर कहा कि वे अपना डीएफआई भी स्थापित कर सकते हैं, क्योंकि बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण की जरूरत अधिक है।उदारीकरण से पहले के दौर में भारत में डीएफआई थे, जो मुख्य रूप से देश में उद्योग के विकास में लगे हुए थे। आईसीआईसीआई और आईडीबीआई पहले डीएफआईही थे। यहां तक कि देश की सबसे पुरानी वित्तीय संस्था आईएफसीआई लिमिटेड ने भी डीएफआई के रूप में काम किया है।
भारत में, पहला डीएफआई 1948 में औद्योगिक वित्त निगम (आईएफसीआई) की स्थापना के साथ चालू हुआ था। इसके बाद, भारतीय औद्योगिक ऋण और निवेश निगम (आईसीआईसीआई) की स्थापना 1955 में विश्व बैंक के समर्थन से की गयी थी।
भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (आईडीबीआई) 1964 में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और उद्योग के दीर्घकालिक वित्तपोषण को बढ़ावा देने के लिये अस्तित्व में आया।
भाषा सुमन मनोहर
मनोहर
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