देश निश्चित रूप से सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर हासिल कर सकता है : आरबीआई गवर्नर मल्होत्रा

देश निश्चित रूप से सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर हासिल कर सकता है : आरबीआई गवर्नर मल्होत्रा

देश निश्चित रूप से सात प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर हासिल कर सकता है : आरबीआई गवर्नर मल्होत्रा
Modified Date: February 7, 2025 / 02:51 pm IST
Published Date: February 7, 2025 2:51 pm IST

मुंबई, सात फरवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने शुक्रवार को कहा कि भारत निश्चित रूप से सात प्रतिशत से अधिक की आर्थिक वृद्धि दर हासिल कर सकता है और देश को इसे हासिल करने की आकांक्षा करनी चाहिए।

रिजर्व बैंक ने अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए आर्थिक वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। यह चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमानित 6.4 प्रतिशत से अधिक है।

यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय अर्थव्यवस्था के तेज गति से बढ़ने की संभावना है, उन्होंने कहा, ‘‘…निश्चित रूप से भारत सात प्रतिशत और उससे अधिक की वृद्धि दर हासिल कर सकता है। हमें निश्चित रूप से इसकी आकांक्षा करनी चाहिए।’’

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट प्रस्तावों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि आयकर राहत से मुद्रास्फीति नहीं बढ़ेगी, बल्कि आर्थिक वृद्धि को समर्थन मिलेगा।

सीतारमण ने नौकरीपेशा और मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देते हुए 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय को पूरी तरह से कर से छूट देने की घोषणा की है। साथ ही कर स्लैब में भी बदलाव किया है।

नई कर व्यवस्था में कर छूट सात लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये किये जाने से एक करोड़ करदाताओं को लाभ होगा।

मल्होत्रा ने चालू वित्त वर्ष की आखिरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति दोनों नजरिये से ‘उत्कृष्ट’ है।

बजट में कृषि पर ध्यान केंद्रित करने से दलहन, तिलहन और अन्य फसलों का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी और खाद्य मुद्रास्फीति में कमी आएगी।

आरबीआई ने अप्रैल से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 4.2 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है, जबकि 2024-25 के लिए पहले के 4.8 प्रतिशत के अनुमान को बरकरार रखा है।

उन्होंने कहा कि आपूर्ति के मोर्चे पर अगर कोई झटका नहीं आता है, इससे खाद्य महंगाई का दबाव कम होगा। इसका कारण, खरीफ फसलों का उत्पादन बेहतर रहने, जाड़े में सब्जियों की कीमतों में नरमी तथा रबी फसलों को लेकर अनुकूल संभावनाएं हैं।

आरबीआई गवर्नर ने रुपये के बारे में कहा कि विनिमय दर नीति वर्षों से एक समान बनी हुई है और केंद्रीय बैंक रुपये के किसी ‘विशिष्ट स्तर या बैंड’ को लक्षित नहीं करता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें रुपये में रोजाना की अस्थिरता पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि दीर्घकालिक विनिमय दर पर नजर रखनी चाहिए।’’

इस साल अबतक रुपये में करीब दो प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। छह नवंबर, 2024 को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव परिणाम घोषित किए जाने के बाद से डॉलर के मुकाबले इसमें 3.2 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसी अवधि के दौरान डॉलर सूचकांक में 2.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

विदेशी मुद्रा बाजार में आरबीआई के हस्तक्षेप के कारण पिछले तीन महीनों में विदेशी मुद्रा भंडार में 45 अरब डॉलर की गिरावट आई है। विदेशी मुद्रा भंडार आठ नवंबर, 2024 को 675.65 अरब डॉलर था।

इस वर्ष 31 जनवरी को, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 630.6 अरब डॉलर पर था जो 10 महीने से अधिक के आयात के लिए पर्याप्त है।

भाषा रमण अजय

अजय


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