भारत, ईयू सोमवार को मुक्त व्यापार समझौते पर अगले दौर की वार्ता शुरू करेंगे

भारत, ईयू सोमवार को मुक्त व्यापार समझौते पर अगले दौर की वार्ता शुरू करेंगे

भारत, ईयू सोमवार को मुक्त व्यापार समझौते पर अगले दौर की वार्ता शुरू करेंगे
Modified Date: September 22, 2024 / 06:46 pm IST
Published Date: September 22, 2024 6:46 pm IST

नयी दिल्ली, 22 सितंबर (भाषा) भारत और 27 देशों के यूरोपीय संघ (ईयू) के वरिष्ठ अधिकारी सोमवार से यहां प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए अगले दौर की वार्ता शुरू करेंगे।

इस समझौते का उद्देश्य दोनों क्षेत्रों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को और बढ़ावा देना है। दोनों पक्ष एफटीए, निवेश संरक्षण समझौते और भौगोलिक संकेत (जीआई) समझौते पर बातचीत कर रहे हैं।

एक अधिकारी ने कहा, “पांच दिवसीय वार्ता 23 सितंबर से शुरू होगी। यह वार्ता का नौवां दौर होगा। साथ ही, यूरोपीय संघ के पर्यावरण अनुकूल उपायों, जैसे सीबीएएम, वनों की कटाई और अन्य के बारे में भारतीय हितधारकों की चिंताओं पर यूरोपीय संघ के साथ चर्चा की जाएगी।”

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नौवें दौर के दौरान, दोनों पक्ष वस्तुओं, सेवाओं, निवेश और सरकारी खरीद को दायरे में लाने वाले प्रमुख व्यापार मुद्दों पर चर्चा करेंगे। दोनों देश आवश्यक नियमों जैसे कि उत्पत्ति के नियम, एसपीएस (सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी), और व्यापार में तकनीकी बाधाओं पर भी चर्चा करेंगे।

शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के अनुसार, यूरोपीय संघ के वन विनाश विनियमन (ईयूडीआर) से दिसंबर, 2024 से यूरोपीय संघ को भारत के 1.3 अरब डॉलर के कृषि निर्यात पर असर पड़ेगा।

जीटीआरआई ने कहा कि भारतीय कंपनियां कार्बन कर, वनों की कटाई के नियमन और आपूर्ति श्रृंखला नियमन जैसे नियमों के संभावित नकारात्मक प्रभावों को लेकर चिंतित हैं।

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, “इन विनियमों से यूरोपीय संघ को भारत के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। व्यापार समझौते के कार्यान्वयन के बाद, यूरोपीय संघ के उत्पाद शून्य शुल्क पर भारत में प्रवेश करना जारी रखेंगे, लेकिन भारतीय उत्पादों को सीबीएएम शुल्क के बराबर 20-35 प्रतिशत शुल्क का भुगतान करना पड़ सकता है। इस संभावना से निपटने के लिए एफटीए अध्यायों में एक उपयुक्त पाठ डाला जा सकता है।”

भारत और यूरोपीय संघ ने आठ साल से ज्यादा के अंतराल के बाद जून, 2022 में बातचीत बहाल की। साल 2013 में कई मुद्दों पर मतभेदों के कारण यह बातचीत रुक गई थी।

भाषा अनुराग पाण्डेय

पाण्डेय

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