केयर्न मामले में पंचनिर्णय को चुनौती देने के लिए भारत के पास अप्रैल-मध्य तक का समय

केयर्न मामले में पंचनिर्णय को चुनौती देने के लिए भारत के पास अप्रैल-मध्य तक का समय

केयर्न मामले में पंचनिर्णय को चुनौती देने के लिए भारत के पास अप्रैल-मध्य तक का समय
Modified Date: November 29, 2022 / 08:07 pm IST
Published Date: March 19, 2021 8:48 am IST

नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) सरकार के पास केयर्न मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए अप्रैल-मध्य तक का समय है। मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने सरकार को ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी पीएलसी को 1.2 अरब डॉलर और ब्याज तथा लागत आदि लौटाने को कहा है। हालांकि, इस आदेश को सिर्फ प्रक्रिया का अनुपालन नहीं हुआ, आदि जैसे सीमित आधार पर ही चुनौती दी जा सकती है।

हेग की स्थानीय मध्यस्थता अदालत में तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण की पीठ ने केयर्न एनर्जी के खिलाफ सरकार के 10,247 करोड़ रुपये के कर दावे को खारिज कर दिया था। मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने सरकार को कंपनी के बेचे गए शेयर, जब्त लाभांश तथा रोके गए कर रिफंड को लौटाने को कहा था। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले दो लोगों के अनुसार यह पंचनिर्णय आठ जनवरी को नीदरलैंड में पंजीकृत हुआ।

भारत ने 19 जनवरी को इसके पंजीकरण पर स्वीकारोक्ति दी। सूत्रों ने कहा कि इस फैसले के खिलाफ इन दो तिथियों के 90 दिन के अंदर अपील की जा सकती है।

 ⁠

कर विशेषज्ञों का कहना है कि नीदरलैंड के कानून के अनुसार इस पंचनिर्णय को निरस्त किए जाने की संभावना काफी कम है।

यदि मध्यस्थता समिति ने प्रक्रियाओं का अनुपालन नहीं किया है, तभी पंचनिर्णय को रद्द किया जा सकता है।

इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसी महीने संकेत दिया था कि इस फैसले में सरकार के कर लगाने के अधिकारों पर सवाल उठाया गया है, जिसके मद्देनजर सरकार इसके खिलाफ अपील करेगी।

वित्त मंत्रालय का मानना है कि कराधान ब्रिटेन-भारत द्वपिक्षीय निवेश संधि जैसी संधियों का विषय नहीं है। ऐसे में इस फैसले को चुनौती दी जानी चाहिए। केयर्न ने इसी आधार पर कर मांग को चुनौती दी है।

भाषा अजय अजय

अजय


लेखक के बारे में