नयी दिल्ली, पांच दिसंबर (भाषा) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को कहा कि भारत जेनेरिक दवाओं के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अग्रणी है और मात्रा के हिसाब से वैश्विक आपूर्ति में इसकी हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है।
जेनेरिक दवाओं से आशय ऐसी दवाओं से हैं, जिनका पेटेंट समाप्त होने के बाद मूल कंपनी के अलावा अन्य फर्में भी इसे बनाती हैं।
मांडविया ने भारत-केन्या व्यापार और निवेश मंच को संबोधित करते हुए दोनों देशों के बीच मजबूत ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा व्यापारिक संबंधों का जिक्र किया। इस मौके पर केन्या के राष्ट्रपति विलियम सामोई रुतो भी मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि हमारे उद्यमियों को ‘एक-दूसरे के साथ व्यापार करना सुगम लगता है। दोनों देशों के बीच जो भरोसा है, उसके कारण कई भारतीय केन्या में बसे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत ने स्वास्थ्य सेवा और औषधि के क्षेत्र में काफी प्रगति की है और केन्या के लोग इसका लाभ उठा सकते हैं।
इस अवसर पर राष्ट्रपति रुतो ने कहा कि केन्या ने भारत के साथ संबंध उसे आजादी मिलने से पहले 1911 में स्थापित किए थे। केन्याई और भारतीय दो अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित ‘एक लोग’ हैं।
मांडविया ने भारतीय उद्योगों को केन्या के लिए एक स्वभाविक साझेदार बताया।
उन्होंने कहा कि केन्या के लोगों के लिए, भारत इलाज को लेकर सबसे बड़ा गंतव्य है। पिछले कुछ साल में भारत स्वास्थ्य देखभाल को लेकर एक प्रमुख गंतव्य बन गया है। इसका कारण बेहतर गुणवत्ता वाले स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र हैं।
भाषा रमण अजय
अजय
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