नयी दिल्ली, 15 अप्रैल (भाषा) भारत, चीन और जापान जैसी प्रमुख एशिया-प्रशांत की अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर में अमेरिकी जवाबी शुल्क लागू होने पर अगले दो वर्षों में 0.20 से 0.40 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने मंगलवार को कहा, अमेरिका की शुल्क लगाने की धमकी ने वैश्विक व्यापार व भरोसे को कम किया है। चीन और अमेरिका के साथ निर्यात पर क्षेत्र की निर्भरता का विनिर्माताओं और छोटी अर्थव्यवस्थाओं पर बहुत अधिक असर पड़ेगा।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के अनुसंधान प्रमुख (एशिया-प्रशांत) यूनिस टैन ने कहा, ‘‘ यदि दो अप्रैल, 2025 को घोषित शुल्क अन्य अर्थव्यवस्थाओं पर फिर से लागू हो जाते हैं, तो इसके भू-राजनीतिक तथा आर्थिक परिणाम गहरे होंगे।’’
भारत के लिए, एसएंडपी ने मार्च में 2025 और 2026 के लिए क्रमशः 6.5 प्रतिशत और 6.8 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया था। यदि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित जवाबी शुल्क को लागू किया जाता है तो एसएंडपी का अनुमान है कि वृद्धि दर घटकर क्रमशः 6.3 प्रतिशत तथा 6.5 प्रतिशत हो जाएगी।
ट्रंप की दो अप्रैल को की गई शुल्क बढ़ोतरी की घोषणा ने वैश्विक स्तर पर शेयर बाजारों में हड़कंप मचा दिया था। हालांकि, बाद में अतिरिक्त शुल्क लगाने के फैसले को नौ अप्रैल को उन्होंने तीन महीने के लिए टाल दिया। केवल चीन पर 125 प्रतिशत शुल्क लगा है।
ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद से अमेरिका और चीन के बीच तनातनी काफी बढ़ गई है। चीन पर 20 जनवरी से अभी तक कुल 145 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया गया है।
इसके अलवा अन्य देशों पर अमेरिका को निर्यात पर 10 प्रतिशत का मूल शुल्क (जिसकी घोषणा दो अप्रैल को की गई थी) अब भी लागू रहेगा।
एसएंडपी ने कहा कि यदि दो अप्रैल को घोषित शुल्क पूरी तरह से लागू किए गए, तो ‘‘ चीन, जापान और भारत की प्रमुख (एशिया प्रशांत) अर्थव्यवस्थाओं में अगले दो साल में 0.20-0.40 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। वियतनाम, थाइलैंड और ताइवान की वृद्धि दर प्रत्यक्ष रूप से सबसे अधिक प्रभावित होगी।’’
भाषा निहारिका अजय
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