भारत चाहता है, डब्ल्यूटीओ में सबसे पहले खाद्यान्न के सार्वजनिक भंडारण के मुद्दे का समाधान हो |

भारत चाहता है, डब्ल्यूटीओ में सबसे पहले खाद्यान्न के सार्वजनिक भंडारण के मुद्दे का समाधान हो

भारत चाहता है, डब्ल्यूटीओ में सबसे पहले खाद्यान्न के सार्वजनिक भंडारण के मुद्दे का समाधान हो

:   Modified Date:  January 18, 2024 / 06:43 PM IST, Published Date : January 18, 2024/6:43 pm IST

नयी दिल्ली, 18 जनवरी (भाषा) भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में खाद्यान्न के सार्वजनिक भंडारण पर स्थायी समाधान निकलने तक कृषि से संबंधित किसी भी अन्य मुद्दे पर बातचीत नहीं करेगा। एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

खाद्यान्न के सार्वजनिक भंडारण का मुद्दा डब्ल्यूटीओ के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी) में प्रमुखता से उठेगा। डब्ल्यूटीओ के शीर्ष निकाय की 26-29 फरवरी को अबू धाबी में बैठक होने वाली है।

अधिकारी ने अबू धाबी बैठक के संदर्भ में कहा, ‘‘खाद्यान्न का सार्वजनिक भंडारण का मुद्दा सबसे लंबे समय से लंबित है। बाली में हुए पिछले सम्मेलन में सदस्यों ने इसके समाधान का वादा किया था और बाद में हुए सम्मेलनों में भी इसका समर्थन किया गया।’’

अधिकारी ने कहा कि इस मुद्दे पर कोई समाधान आए बगैर भारत कृषि से संबंधित किसी भी अन्य मुद्दे पर चर्चा में भाग नहीं लेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारा पहला सवाल है।’’

विकसित देशों ने राशन की सरकारी दुकानों से वितरण के लिए सरकार द्वारा प्रशासित मूल्य पर किसानों से चावल और गेहूं की खरीद जैसे भारत के खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों पर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि रियायती दरों पर खाद्यान्न की यह सार्वजनिक खरीद और भंडारण वैश्विक कृषि व्यापार को नुकसान पहुंचाता है।

लेकिन भारत का कहना है कि उन्हें आबादी के एक बड़े हिस्से की खाद्य सुरक्षा जरूरतों का ख्याल रखने के अलावा गरीब और कमजोर किसानों के हितों की रक्षा भी करनी है। इसलिए खाद्यान्न की सार्वजनिक खरीद एवं भंडारण जरूरी है।

अफ्रीकी देशों समेत 80 से अधिक देश भारत के इस रुख का समर्थन कर रहे हैं। सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत लगभग 80 करोड़ गरीबों को प्रति माह पांच किलोग्राम मुफ्त खाद्यान्न मुहैया कराती है।

डब्ल्यूटीओ में इस मुद्दे का हल निकालने के क्रम में भारत ने खाद्य सब्सिडी सीमा की गणना करने के फॉर्मूले में बदलाव और 2013 के बाद लागू किए गए कार्यक्रमों को ‘शांति प्रावधान’ के दायरे में शामिल करने की वकालत की है।

‘शांति प्रावधान’ के तहत डब्ल्यूटीओ के सदस्य संगठन के विवाद निपटान मंच पर विकासशील देशों के किसी भी उल्लंघन को चुनौती देने से परहेज करते हैं। इस मुद्दे पर कोई समाधान नहीं मिलने तक यह प्रावधान लागू रहेगा।

भाषा प्रेम

प्रेम अजय

अजय

 

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