Is inflation only responsible for the economic slowdown..?

क्या आर्थिक मंदी के लिए सिर्फ महंगाई ही जिम्मेदार..? कर्मचारियों को लेकर कई कंपनियां ले सकती है बड़ा फैसला

Financial Crisis: Is inflation only responsible for the economic slowdown..? कर्मचारियों को लेकर कई कंपनियां ले सकती है बड़ा फैसला

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:23 PM IST, Published Date : July 15, 2022/12:57 pm IST

Financial Crisis: क्या दुनिया में मंदी आने वाली है ? बीते कुछ महीनों में महंगाई अंधाधुन बढ़ते ही जा रही है। चाहें वो पेट्रोल डीजल के दाम हो या खाने पीने की चीजों के दाम या फिर कुछ और, महंगाई अपने लोगो पर हावी होती जा रही है। इसी बीच यह सवाल उठ रहा है कि क्या आर्थिक मंदी के लिए सिर्फ महंगाई ही जिम्मेदार है? यदि ऐसा नहीं है तो फिर मंदी का सवाल क्यों उठ रहा है। विश्व बैंक की तरफ से कहा गया है कि इस साल की समाप्ति तक दुनिया की आर्थिक प्रगति कम होने की आशंका है, इसलिए ज्यादातर देशों को आर्थिक मंदी की तैयारी कर लेनी चाहिए। पूरी दुनिया बढ़ती महंगाई और कम विकास दर से जूझ रही है, जिसकी वजह से 1970 के दशक जैसी मंदी आ सकती है। इतना ही नहीं दुनिया भर में इसका असर दिखने भी लगा है।

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जब अर्थव्यवस्था में लगातार कुछ समय तक उन्नति थम जाती है, रोजगार कम हो जाता है, महंगाई बढ़ने लगती है और लोगों की आमदनी घटने लगती है तो इसे आर्थिक मंदी कहा जाता है। पूरी दुनिया में 4 बार आर्थिक मंदी आ चुकी है। पहली बार 1975 में, दूसरी बार 1982 में, तीसरी बार 1991 में और और चौथी बार 2008 में आर्थिक मंदी आई थी। अब पांचवीं बार इसकी वर्ष मंदी की आशंका जताई जा रही है।

अमेरिका में महंगाई की दर 9.1 प्रतिशत तक पहुंच गई है जो पिछले 40 सालों में सबसे अधिक है। युनाइटेड किंगडम में भी महंगाई 40 साल में सबसे ज्यादा 9.1 फीसदी तक पहुंच गई है। यूरोपियन यूनियन में भी महंगाई दर 7.6 फीसदी तक पहुंच गई है। दुनिया में इस वक्त साढ़े 20 करोड़ लोगों के बेरोजगार होने की आशंका है। दुनिया में कोविड शुरू होने से पहले 2019 में 18 करोड़ 70 लाख लोग बेरोजगार थे। मतलब संकेत साफ हैं कि कई देशों में महंगाई और बेरोजगारी दोनों बढ़ रही हैं।

क्यों आई मंदी की नौबत?

2020 में जब कोविड आया तो पूरी दुनिया में लॉकडाउन हो गया, जिसकी वजह से अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर रुक गई। लॉकडाउन की वजह से करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए। जब लॉकडाउन खुला तो चीन की ओर से भेजे जाने वाले सामानों की सप्लाई चेन में रुकावट आ गई। सप्लाई कम हुई, तो दुनियाभर में चीजों की मांग बढ़ गई, जिसकी वजह से महंगाई बढ़ी है। तो वहीं फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस ने हमला कर दिया जिससे दुनियाभर में खाने के सामान और तेल की सप्लाई चेन पर असर हुआ। कच्चा तेल महंगा हुआ तो इसका भी सीधा असर महंगाई पर देखने को मिला। अब महंगाई से निपटने के लिए दुनिया के केन्द्रीय बैंक ब्याज दरों में वृद्धि कर रहे हैं और बैंकों ने ब्याज दरें बढ़ाईं तो शेयर मार्केट से विदेशी निवेशकों ने पैसे निकाल लिए है, जिसका सीधा असर उस देश की मुद्रा पर आया जैसे भारत का रुपया लगातार गिर रहा है।

गूगल ने की भर्ती में कटौती

गूगल की पैरेंट कंपनी एल्फाबेट ने कहा है कि वो इस साल के बचे हुए महीनों में भर्ती की प्रक्रिया को धीमा करेगी। बताया जा रहा है कि आने वाले महीनों में संभावित मंदी को देखते हुए ऐसा किया जा रहा है। कंपनी को भेजे एक ईमेल में सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा है कि 2022-23 में कंपनी का फोकस सिर्फ इंजीनियरिंग, तकनीकी विशेषज्ञ और महत्वपूर्ण पदों पर बहाली करने पर होगा। 2008-09 में जब आर्थिक मंदी आई थी, तो भी गूगल ने अपनी भर्ती प्रक्रिया रोक दी थी।

भर्तियों की कटौती में ये दिग्गज कंपनियां भी शामिल

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सिर्फ गूगल ही नहीं बल्कि फेसबुक भी 2022 में 10 हजार के टारगेट के बजाए सिर्फ 6 हजार से 7 हजार नए इंजीनियर की भर्ती करेगा। 2022-23 में संभावित मंदी को देखते हुए माइक्रोसॉफ्ट ने भी भर्तियों में कटौती का फैसला किया है।

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