जम्मू-कश्मीर में लैवेंडर किसान ला रहे हैं 'बैंगनी क्रांति' |

जम्मू-कश्मीर में लैवेंडर किसान ला रहे हैं ‘बैंगनी क्रांति’

जम्मू-कश्मीर में लैवेंडर किसान ला रहे हैं 'बैंगनी क्रांति'

:   Modified Date:  March 12, 2023 / 06:48 PM IST, Published Date : March 12, 2023/6:48 pm IST

भद्रवाह (जम्मू-कश्मीर), 12 मार्च (भाषा) जम्मू-कश्मीर में भद्रवाह इलाके के लगभग 2,500 किसानों ने लाभकारी लैवेंडर की खेती को अपनाने के लिए मक्का उगाने की अपनी सदियों पुरानी परंपरा को छोड़ दिया है।

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भद्रवाह में इस सुगंधित फूल की खेती ने देश में बैंगनी क्रांति लाकर इतिहास रच दिया है।

केंद्र सरकार के अरोमा मिशन के तहत लैवेंडर की खेती कर रहे डोडा जिले के इन किसानों के अनुसार सुगंधित पौधों की अपरंपरागत खेती ने उन्हें ‘आत्मनिर्भर’ बनने में मदद की है।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (आईआईआईएम) ने सीएसआईआर-अरोमा मिशन के तहत जम्मू संभाग के समशीतोष्ण इलाकों में 2018 में लैवेंडर की खेती को बढ़ावा दिया था। संस्थान ने शुरू में इसे डोडा, किश्तवाड़ और राजौरी जिलों में लोकप्रिय बनाने की कोशिश की।ॉ

उपयुक्त ठंडी जलवायु और अनुकूल परिस्थितियों को पाकर भद्रवाह क्षेत्र के कुछ छोटे और सीमांत किसानों ने जोखिम उठाया और 2017 में लैवेंडर की खेती की ओर रुख किया। तब तक वे केवल मक्का की खेती ही करते थे।

प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री सिंह ने कहा, ”मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है, क्योंकि लैवेंडर की खेती की सफलता के कारण भद्रवाह का नाम हमारे देश में प्रसिद्ध हो गया है।”

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ”जब हमने यह पहल शुरू की, तो लोगों को लैवेंडर की फसल और उसके बाजार के बारे में जानकारी नहीं होने के कारण नुकसान का डर था। हमने (सरकार) लोगों को जागरूक करने के लिए कई पहल की, जिसके चलते हजारों लोगों ने, विशेष रूप से युवा पीढ़ी ने पारंपरिक फसल से लैवेंडर की ओर रुख किया। इसके बाद उनकी आय बढ़ी और वे देश के अन्य हिस्सों के लिए प्रेरणा बनें।”

सिंह उधमपुर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसमें डोडा भी शामिल है। उन्होंने कहा कि उद्यमी खुशी से लैवेंडर के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, जिससे न केवल उनकी आय बढ़ी है, बल्कि वे दूसरों के लिए रोजगार भी पैदा कर रहे हैं।

मंत्री ने कहा कि सरकार लैवेंडर से जुड़े किसानों को वित्त पोषण, प्रौद्योगिकी और विपणन सहित सभी तरह की मदद दे रही है, ताकि उन्हें किसी भी स्तर पर समस्या का सामना न करना पड़े।

भाषा पाण्डेय

पाण्डेय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)