आंकड़ों की गुणवत्ता सुधारने के लिए एआई, आईओटी जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने की जरूरत: सीईए

आंकड़ों की गुणवत्ता सुधारने के लिए एआई, आईओटी जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने की जरूरत: सीईए

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  • Publish Date - June 5, 2025 / 09:37 PM IST,
    Updated On - June 5, 2025 / 09:37 PM IST

नयी दिल्ली, पांच जून (भाषा) मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने बृहस्पतिवार को कहा कि आंकड़ों या सूचना की गुणवत्ता में सुधार के लिए कृत्रिम मेधा (एआई) और ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ (आईओटी) जैसी नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की जरूरत है, जो नीति निर्माण का आधार हैं।

नीति निर्माण के लिए वैकल्पिक आंकड़ा स्रोतों और प्रमुख प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर राष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए, नागेश्वरन ने कहा कि सांख्यिकीय प्रणालियों और वैकल्पिक आंकड़ों द्वारा उत्पन्न सूचना, एक दूसरे को प्रतिस्थापित करने के बजाय एक दूसरे के पूरक हैं।

उन्होंने कहा कि एआई, आईओटी जैसी प्रौद्योगिकी के नवीनतम रुझानों को जनशक्ति के कौशल के साथ-साथ आगे बढ़ना होगा, प्रामाणिकता सुनिश्चित करनी होगी, एल्गोरिदम के उन्नत डिजाइन के साथ आंकड़ों की गुणवत्ता की विश्वसनीयता इस प्रयास में महत्वपूर्ण है।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी) के चेयरमैन सुमन के बेरी ने पारंपरिक आंकड़ों को वैकल्पिक सूचना स्रोतों के साथ एकीकृत करने के बारे में बताया।

बेरी ने आंकड़ा संग्रह के पारंपरिक तरीकों और कठोर सांख्यिकीय विश्लेषण के माध्यम से उत्पन्न आंकड़ों का उपयोग करने पर ध्यान केंद्रित किया, जो साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण का आधार बनता है।

उन्होंने प्रशासनिक आंकड़ों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के महत्व का जिक्र किया। आंकड़ा प्रसंस्करण और आत्मसात पर जोर देते हुए पारंपरिक और वैकल्पिक आंकड़ा स्रोतों से प्राप्त अंतर्दृष्टि को मजबूत करने की जरूरत है।

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन सचिव सौरभ गर्ग ने कहा कि सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय पिछले कुछ वर्षों से इस बात पर विचार-मंथन कर रहा है कि मौजूदा राष्ट्रीय सांख्यिकी प्रणाली में वैकल्पिक सूचना स्रोतों को कैसे एकीकृत किया जा सकता है और यह कार्यशाला पिछले कुछ वर्षों में किए गए प्रयासों का परिणाम है।

भाषा अनुराग रमण

रमण