भोपालः Vande Bharat: मध्यप्रदेश में मानसून सत्र से पहले जारी एक सर्कुलर पर सियासी घमासान शुरू हो गया है। 28 जुलाई से शुरु हो रहे मानसून सत्र में इस बार विधानसभा परिसर में विधायक नारेबाजी-प्रदर्शन पर रोक लगा दी है। विधायकों के लिए जारी नए नियम को विपक्ष तुगलकी फरमान बता रहा है तो सत्ता पक्ष ने कांग्रेस से सवाल पूछा कि क्या वो विधानसभा हंगामा करने आती है।
Vande Bharat: मध्यप्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है, लेकिन उससे पहले ही अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के कार्यालय की ओर से जारी एक सर्कुलर पर सियासी बवाल मच गया है। सर्कुलर के मुताबिक विधायक अब विधानसभा परिसर में पहले की तरह ना तो नारेबाजी कर सकेंगे और ना ही प्रदर्शन, जिस पर कांग्रेस का पारा चढ़ गया। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने X पोस्ट में लिखा कि विपक्ष लगातार विधानसभा अध्यक्ष से सदन की कार्यवाही को लाइव करने की मांग कर रहा है। इसके उलट विधानसभा अध्यक्ष सरकार के दबाव में अब विधायकों को जनता के मुद्दे उठाने से भी रोक रहे हैं। यह लोकतंत्र की हत्या है। हम इसका खुलकर विरोध करते हैं और पूर्व की तरह आगामी सत्र में हम ज़ोर-शोर से जनता के मुद्दे उठाएंगे।
कांग्रेस और बीजेपी में इस सर्कुलर के चलते जुबानी जंग भी छिड़ गई है। कांग्रेस जहां इसे विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश बता रही है तो बीजेपी कांग्रेस को संविधान का पाठ पढ़ने की सीख दे रही है। कांग्रेस विधायकों ने पिछले विधानसभा सत्र में हर दिन विरोध का अलग-अलग तरीका अपनाया था। कभी खेती किसानी, कभी लॉ एंड ऑर्डर तो कभी सरकारी कर्ज पर प्रदर्शन कर मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था। ऐसे में सरकार के बदले स्टैंड और विपक्ष के कड़े रूख से साफ है कि विधानसभा का मानसून सत्र संसद सत्र की ही तरह हंगामेदार रहने वाला है।