बैंकों में विदेशी स्वामित्व की सीमा बढ़ाने पर फिलहाल कोई कदम नहीं: आरबीआई गवर्नर

बैंकों में विदेशी स्वामित्व की सीमा बढ़ाने पर फिलहाल कोई कदम नहीं: आरबीआई गवर्नर

बैंकों में विदेशी स्वामित्व की सीमा बढ़ाने पर फिलहाल कोई कदम नहीं: आरबीआई गवर्नर
Modified Date: June 6, 2025 / 06:34 pm IST
Published Date: June 6, 2025 6:34 pm IST

(तस्वीर के साथ)

मुंबई, छह जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने शुक्रवार को कहा कि फिलहाल किसी वित्तीय संस्थान में विदेशी स्वामित्व की सीमा 15 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।

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मल्होत्रा ​​ने यहां आरबीआई मुख्यालय में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि आरबीआई बैंकों में स्वामित्व ढांचे और पात्रता मानदंड जैसे विभिन्न मुद्दों पर फिर से विचार करने की कवायद करेगा।

हालांकि, मल्होत्रा ​​ने कहा कि भारत जैसी बढ़ती अर्थव्यवस्था को अधिक बैंकों की जरूरत है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि हमें ऐसे मालिकों और प्रबंधकों की जरूरत है, जो भरोसेमंद हों।

मल्होत्रा ​​ने कहा, “हम गैर-निवासियों के लिए 15 प्रतिशत की अनुमति देते हैं, और यह मामला-दर-मामला आधार पर 15 प्रतिशत से ऊपर भी जा सकता है। इस व्यवस्था में जल्द या तुरंत कोई बदलाव नहीं होने वाला है।”

आरबीआई किसी एक विदेशी संस्था को किसी ऋणदाता में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने की अनुमति देता है लेकिन इसमें कुछ अपवाद भी हैं। सीएसबी बैंक में कनाडा की निवेशक फेयरफैक्स को 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने की अनुमति दी गई है तथा हाल ही में जापान के एसएमबीसी को यस बैंक में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने की अनुमति दी गई है।

मल्होत्रा ​​ने इसे एक ‘ऐसा गहन प्रश्न’ बताया जिसके निष्कर्ष पर पहुंचने में समय लगेगा। उन्होंने संकेत दिया कि आरबीआई भविष्य में बैंकों में अधिक विदेशी स्वामित्व की अनुमति देने पर विचार कर सकता है।

उन्होंने कहा, “हमने यह भी कहा है कि हम स्वामित्व संरचना और पात्रता शर्तों पर फिर से विचार करना चाहते हैं जिसके तहत गैर-निवासी के लिए 15 प्रतिशत सीमा की हम फिलहाल जांच कर रहे हैं। यह काम तुरंत नहीं होगा, इसमें समय लगेगा।”

मल्होत्रा ने कहा कि अर्थव्यवस्था के लिए जो भी अच्छा होगा, वही फैसला किया जाएगा।

उन्होंने कहा, “निश्चित रूप से, हमारी अर्थव्यवस्था बढ़ रही है, हमें अधिक बैंकों की आवश्यकता है। इसे ध्यान में रखते हुए, यदि स्वामित्व मानदंडों में बदलाव की आवश्यकता होगी, तो हम ऐसा करेंगे।”

भाषा अनुराग प्रेम

प्रेम


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