विदेशों में बाजार टूटने से तेल-तिलहनों कीमतों में गिरावट |

विदेशों में बाजार टूटने से तेल-तिलहनों कीमतों में गिरावट

विदेशों में बाजार टूटने से तेल-तिलहनों कीमतों में गिरावट

:   Modified Date:  December 7, 2022 / 06:24 PM IST, Published Date : December 7, 2022/6:24 pm IST

नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) विदेशी बाजारों में कमजोरी के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सरसों तेल तिलहन, सोयाबीन तेल और बिनौला तेल की कीमतों में गिरावट आई जबकि डी-आयल्ड केक (डीओसी) की स्थानीय और निर्यात मांग के कारण सोयाबीन तिलहन कीमत मजबूत हो गई।

आयात भाव मंहगा बैठने से कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल के अलावा मूंगफली तेल तिलहन के भाव पूर्व-स्तर पर बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा, ‘‘मलेशिया एक्सचेंज में लगभग तीन प्रतिशत की गिरावट है जबकि शिकागो एक्सचेंज मंगलवार को सवा प्रतिशत टूटने के बाद फिलहाल खास घट-बढ़ नहीं है।’’

सूत्रों ने सुझाव देते हुए कहा कि सस्ता होने की वजह से पूरे विश्व में पामोलीन तेल की मांग है। देश में इस तेल का लगभग एक प्रतिशत के आसपास ही ब्रांड के तौर पर बेचा जाता है बाकी बहुलांश खपत गैर-ब्रांडेड तेलों की होती है जो समोसे, कचौड़ी, नमकीन कंपनियों, रेस्तरां और होटलों के अलावा कमजोर आय वर्ग के लोग इस्तेमाल करते हैं। जबकि सूरजमुखी और सोयाबीन तेल उच्च आय वर्ग के लोग उपयोग करते हैं जो तेल ब्रांडेड होते हैं।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को तेल तिलहन बाजार के परिदृश्य को देखते हुए देश में तिलहन खेती बढ़ाने और किसान हितों की रक्षा के लिए सीपीओ एवं पामोलीन पर कुछ कम मात्रा में तथा सूरजमुखी और सोयाबीन जैसे उच्चवर्ग के उपभोग वाले खाद्यतेलों पर अधिकतम आयात शुल्क लगाना चाहिये। इससे तेल तिलहनों की महंगाई और इसकी खपत पर कोई विशेष असर नहीं आयेगा।

सूत्रों के मुताबिक, इस राह पर चलने से देश को कई फायदे हैं। मसलन, उच्च आयवर्ग के लोग मामूली महंगाई का बोझ वहन करने की स्थिति में होंगे, आगामी बुवाई के मौसम (दिसंबर-जनवरी) में किसान सूरजमुखी की बुवाई के लिए प्रेरित होंगे, आगामी सरसों फसल की खपत हो पाएगी, डीओसी और खल की उपलब्धता में सुधार होगा और देश को राजस्व की भी प्राप्ति होगी। स्थिति को काबू में करने के लिए इस दिशा में सरकार को जल्द कोई पहल करनी चाहिए।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने तेल कीमतों में नरमी लाने के मकसद से ‘कोटा प्रणाली’ की व्यवस्था को लागू किया था लेकिन इससे देश में खाद्यतेलों के कम आपूर्ति की स्थिति बनने से खाद्यतेलों के दाम पहले से भी बढ़ गए। सरकार को इस कोटा व्यवस्था पर जल्द ही पाबंदी लगाने के बारे में फैसला करना चाहिए ताकि देश में मांग और आपूर्ति में संतुलन लाया जा सके।

बुधवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 7,100-7,150 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,410-6,470 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,000 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,415-2,680 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 14,050 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,125-2,255 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,185-2,310 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,050 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,550 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,450 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,050 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,100 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 5,550-5,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज 5,360-5,410 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश प्रेम

प्रेम

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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