नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि ओमान ने व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (सीईपीए) के तहत भारत को संगमरमर के ब्लॉक आयात करने की अनुमति दे दी है। इससे भारत को संगमरमर ब्लॉक के आयात के लिए तुर्किये पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
भारत और ओमान के बीच सीईपीए पर 18 दिसंबर को मस्कट में हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के अगले तीन महीनों में लागू होने की संभावना है।
गोयल ने कहा कि ओमान आमतौर पर संगमरमर के ब्लॉक के निर्यात की अनुमति नहीं देता है और भारत इस तरह की सुविधा पाने वाला पहला देश है।
उन्होंने कहा, “इससे भारत में संगमरमर की घरेलू प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। अब हम तैयार मार्बल आयात करने की बजाय भारत में रोजगार सृजन करेंगे और भारत निर्मित मार्बल टाइल्स एवं फ्लोरिंग उपलब्ध होगी। इससे तुर्किये से होने वाले आयात में भी कमी आएगी।”
वर्तमान में भारत का कच्चा संगमरमर ब्लॉक आयात लगभग 13 लाख टन है, जो मुख्यतः तुर्किये, इटली और वियतनाम से आता है। देश में संगमरमर उद्योग प्रमुख रूप से राजस्थान और गुजरात में केंद्रित है।
गोयल ने यह भी बताया कि ओमान के साथ हुए समझौते से मांस के निर्यात के लिए हलाल प्रमाणन की पारस्परिक मान्यता की व्यवस्था भी सुगम होगी।
खाड़ी देश एवं अन्य इस्लामी देश हलाल उत्पादों के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं।
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि ओमान ने इस समझौते के तहत भरोसा दिलाया है कि वहां निवेश करने वाली भारतीय कंपनियों को केवल निर्धारित संख्या में ही ओमानी नागरिकों को नियुक्त करना होगा, जबकि बाकी कर्मचारी भारत से हो सकते हैं।
गोयल ने बताया, “इस तरह ये निवेश हमारे लोगों के लिए रोजगार पैदा करेंगे। यह पहली बार है कि ओमान ने ऐसा किया है, और यह सुविधा स्थायी होगी। ओमान में कानून बदलने पर भी यह प्रावधान सीईपीए में बना रहेगा।”
उन्होंने समझौते को ‘बाध्यकारी’ बताते हुए कहा कि इसमें लेखा, कराधान, वास्तुकला, चिकित्सा एवं नर्सिंग जैसे कुशल पेशेवरों के लिए आसान प्रवेश एवं ठहराव की शर्तें भी शामिल हैं।
सीईपीए के तहत भारतीय कंपनियों को ओमान में प्रमुख सेवा क्षेत्रों में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति भी दी गई है।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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