नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) भारत-ओमान के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए बातचीत लगभग अंतिम चरण में है। एक अधिकारी ने कहा कि दोनों देश इसमें ओमान की श्रम-संबंधी ‘ओमानीकरण’ यानी स्थानीय नीति के अंतिम मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं, क्योंकि भारत चाहता है कि उसके श्रमिकों के लिए मौजूदा व्यवस्था अपरिवर्तित रहे।
‘ओमानीकरण’ एक नीति है जिसे ओमान ने निजी क्षेत्र में अपने नागरिकों के रोजगार को बढ़ावा देने के लिए लागू किया गया है। इस नीति के तहत कंपनियों को ओमानी नागरिकों को काम पर रखने के लिए विशिष्ट कोटा पूरा करने का आदेश दिया गया है। ये कोटा, क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होते हैं और समय-समय पर संशोधित किए जाते हैं।
अधिकारी ने कहा, “ओमान में कंपनियों के लिए एक निश्चित प्रतिशत में ओमानी नागरिकों को रोजगार देना अनिवार्य है, जो क्षेत्र के अनुसार 15 प्रतिशत या 20 प्रतिशत या 30 प्रतिशत…अलग-अलग होता है। हम चाहते हैं कि ओमानीकरण की यह वर्तमान व्यवस्था हमारे लिए स्थायी बनी रहे, ताकि भविष्य में एफटीए के अंतिम रूप दिए जाने के बाद यह अधिक प्रतिबंधात्मक न हो जाए।”
इस साल जनवरी में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की मस्कट यात्रा के बाद बातचीत को प्रोत्साहन मिला।
समझौते के लिए वार्ता (व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (सीईपीए)) औपचारिक रूप से नवंबर, 2023 में शुरू हुई।
ऐसे समझौतों में, दो व्यापारिक साझेदार परस्पर व्यापार वाली वस्तुओं की अधिकतम संख्या पर सीमा शुल्क को या तो काफी कम कर देते हैं या खत्म कर देते हैं। वे सेवाओं में व्यापार को बढ़ावा देने और निवेश आकर्षित करने के लिए मानदंडों को भी आसान बनाते हैं।
ओमान, भारत के लिए खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों में तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। भारत का पहले से ही जीसीसी के एक अन्य सदस्य संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ ऐसा ही समझौता है, जो मई, 2022 में लागू हुआ था।
वित्त वर्ष 2023-24 में दोनों देशों में द्विपक्षीय व्यापार लगभग नौ अरब डॉलर (निर्यात 4.42 अरब डॉलर और आयात 4.52 अरब डॉलर) था।
भारत के प्रमुख आयात पेट्रोलियम उत्पाद और यूरिया हैं। इनका आयात 70 प्रतिशत से अधिक है। अन्य प्रमुख उत्पाद प्रोपलीन और एथिलीन पॉलिमर, पेट कोक, जिप्सम, रसायन और लोहा और इस्पात हैं।
भाषा अनुराग रमण
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