नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) देश में कागज और पेपरबोर्ड का आयात बीते वित्त वर्ष 2023-24 में 34 प्रतिशत बढ़कर 19.3 लाख टन रहा। मुख्य रूप से आसियान देशों से आपूर्ति बढ़ने से आयात बढ़ा है।
उद्योग संगठन ‘द इंडियन पेपर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन’ (आईपीएमए) ने बयान में कहा कि इन उत्पादों का आयात बढ़ने से घरेलू उद्योग प्रभावित हो रहा है।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, कागज और पेपरबोर्ड आयात 31 मार्च, 2023 को समाप्त वित्त वर्ष में 14.3 लाख टन था। पेपरबोर्ड का उपयोग गत्ते का बक्सा और ‘पेपर कप’ बनाने में किया जाता है।
संगठन ने वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े का हवाला देते हुए कहा, ‘‘देश में कागज आयात में सबसे बड़ा हिस्सा आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन) का है। इनकी हिस्सेदारी 27 प्रतिशत है। आसियान-भारत मुक्त व्यापार समझौते के तहत इन देशों से यह शून्य आयात शुल्क पर यहां आता है। वित्त वर्ष 2023-24 में यह बढ़कर 5.1 लाख टन हो गया जो 2022-23 में 2.7 लाख टन था।’’
आसियान के सदस्य देशों की संख्या 10 है। इसके सदस्यों में सिंगापुर, थाइलैंड, कम्बोडिया और लाओस शामिल हैं।
मूल्य के हिसाब से कागज आयात वित्त वर्ष 2023-24 में दोगुना होकर 13,248 करोड़ रुपये रहा।
आईपीएमए ने कहा, ‘‘कागज और पेपरबोर्ड का आयात बढ़ना भारत की ‘मेक-इन-इंडिया’ पहल आत्मनिर्भर भारत के लिए एक बड़ा जोखिम है।’’
इन देशों से आने वाले प्रमुख कागज में प्रिंटिंग पेपर, कोटेड पेपर और पेपरबोर्ड शामिल हैं।
आईपीएमए ने कहा कि यह उछाल घरेलू उद्योग के हाल के वर्षों में प्रौद्योगिकी को उन्नत करने, उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार और कृषि वानिकी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए पर्याप्त निवेश के बावजूद आया है।
संगठन ने दावा किया, ‘‘शुल्क-मुक्त आयात के कारण ये निवेश अब जोखिम में हैं।’’
आईपीएमए ने सरकार से कागज और पेपरबोर्ड के आयात पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने का आग्रह किया है।
भाषा
रमण अजय
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