संसदीय समिति ने सरकार से दिल्ली दुग्ध योजना के कामकाज में सुधार लाने को कहा

संसदीय समिति ने सरकार से दिल्ली दुग्ध योजना के कामकाज में सुधार लाने को कहा

संसदीय समिति ने सरकार से दिल्ली दुग्ध योजना के कामकाज में सुधार लाने को कहा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:44 pm IST
Published Date: March 17, 2021 2:56 pm IST

नयी दिल्ली, 17 मार्च (भाषा) संसद की एक समिति ने बुधवार को दिल्ली दुग्ध योजना (डीएमएस) के खराब प्रदर्शन को लेकर सरकार की खिंचाई की और सुधार के लिये तकाल कदम उठाने को कहा। डीएमएस का राजस्व पिछले दो वित्त वर्षों में घटा है।

कृषि पर संसद की स्थायी समिति ने मत्स्यन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के 2020-21 की अनुदान मांगों पर संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘‘वित्त वर्ष 2019-20 और 2020-21 में राजस्व में भारी कमी के साथ डीएमएस का प्रदर्शन खराब रहा है।’’

समिति के अनुसार डीएमएस से राजस्व प्राप्ति 2019-20 में 354.76 करोड़ रुपये थी जो 2020-21 में घटकर 253.46 करोड़ रुपये पर आ गयी।

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रिपोर्ट में डीएमएस संयंत्र के कामकाज को लेकर खराब स्थिति पर असंतोष जताते हुए समिति ने सिफारिश की है कि मंत्रालय स्थिति में सुधार के लिये तत्काल कदम उठाये और भविष्य में इस प्रकार की स्थिति से बचने के लिये उपयुक्त उपाय करे।

डीएमएस का गठन 1959 में हुआ था। इसका मुख्य मकसद दिल्ली के नागरिकों को वाजिब मूल्य पर दूध के साथ दूध उत्पादकों को लाभकारी दाम उपलब्ध कराना था। इसके कर्मचारियों की संख्या 800 है।

डीएमएस पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार से कच्चा/ताजा दूध खरीदती रही है। दूध प्रसंस्करण और आपूर्ति के अलावा डीएमएस दही, घी, मक्खन, पनीर, बटर दूध और ‘फ्लेवर्ड’ दूध बनाती है।

डीएमएस की दूध उत्पादन और पैकेजिंग क्षमता 5 लाख लीटर प्रतिदिन है। इसके नेटवर्क में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 1,298 दुकानें हैं।

भाषा रमण मनोहर

मनोहर


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