Power crisis may once again deepen in the country, know what is reason

देश में एक बार फिर गहरा सकता है बिजली संकट, जानिए क्या है वजह

देश में एक बार फिर गहरा सकता है बिजली संकट, जानिए क्या है वजहः Power crisis may once again deepen in the country, know what is reason

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:19 PM IST, Published Date : May 29, 2022/3:55 pm IST

नयी दिल्ली : Power crisis may once again  भारत में ताप बिजली संयंत्रों में मानसून से पहले कोयला भंडार की कमी होने से संकेत मिल रहा है कि जुलाई-अगस्त तक देश में एक और ऊर्जा संकट खड़ा हो सकता है। स्वतंत्र शोध संगठन सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लिन एयर (सीआरईए) की रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

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Power crisis may once again  खदानों पर लगे ऊर्जा स्टेशनों के पास अभी 1.35 करोड़ टन का कोयला भंडार है और देशभर के ऊर्जा संयंत्रों के पास 2.07 करोड़ टन कोयला भंडार है।सीआरईए ने अपनी ‘‘भार उठाने में विफल: भारत का ऊर्जा संकट कोयला प्रबंधन का संकट है’ शीर्षक की रिपोर्ट में कहा है, ‘‘आधिकारिक स्रोतों से एकत्रित आंकड़े बताते हैं कि कोयला आधारित बिजली संयंत्र ऊर्जा की मांग में मामूली बढ़ोतरी को भी झेलने की स्थिति में नहीं हैं और कोयला परिवहन की योजना पहले से बनाने की जरूरत है।’’

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केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) का अनुमान है कि अगस्त में ऊर्जा की अधिकतम मांग 214 गीगावॉट पर पहुंच जाएगी, इसके अलावा औसत बिजली की मांग भी मई के दौरान 13,342.6 करोड़ यूनिट से अधिक हो सकती है। सीआरईए ने कहा, ‘‘दक्षिणपश्चिमी मानसून के आगमन से खनन में और खदानों से बिजली स्टेशनों तक कोयले के परिवहन में भी मुश्किलें आएंगी। मानसून से पहले यदि कोयला भंडार को पर्याप्त स्तर तक नहीं बनाया गया, तो जुलाई-अगस्त में देश को एक और बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है।’’

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रिपोर्ट में कहा गया कि हाल में देश में जो बिजली संकट आया था उसकी वजह कोयला उत्पादन नहीं बल्कि इसका ‘‘वितरण और अधिकारियों की उदासीनता’’ थी। इसमें कहा गया, ‘‘आंकड़ों से यह जाहिर है कि पर्याप्त कोयला खनन के बावजूद ताप बिजली संयंत्रों में कोयले का पर्याप्त भंडार नहीं रखा गया।’’ भारत में 2021-22 में कोयले का 77.72 करोड़ टन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ जो इससे एक साल पहले के 71.60 करोड़ टन उत्पादन की तुलना में 8.54 प्रतिशत अधिक है।

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सीआरईए में विश्लेषक सुनील दहिया ने कहा 2021-22 में देश की कुल खनन क्षमता 150 करोड़ टन रही जबकि कुल उत्पादन 77.72 करोड़ टन रहा जो उत्पादन क्षमता का ठीक आधा है। दहिया ने कहा कि यदि कोयले की वास्तव में कमी होती तो कोयला कंपनियों के पास उत्पादन बढ़ाने का विकल्प था। उन्होंने कहा कि यह स्थिति अभी-अभी बनी है ऐसा नहीं है, बल्कि बिजली संयंत्रों के पास से तो मई, 2020 से ही कोयले का भंडार लगातार घट रहा है। दहिया ने कहा कि पिछले वर्ष बिजली संकट की स्थिति बनने का प्रमुख कारण यह था कि बिजली संयंत्र परिचालकों ने मानसून से पहले कोयले का पर्याप्त भंडार नहीं बनाया था।