मुंबई, 29 दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को ऋण खातों में दंडात्मक शुल्क लगाने के लिए संशोधित मानक लागू करने की समयसीमा तीन महीने यानी एक अप्रैल, 2024 तक बढ़ा दी।
केंद्रीय बैंक ने अगस्त में ‘उचित ऋण प्रक्रिया- ऋण खातों में दंडात्मक शुल्क’ पर एक परिपत्र जारी करते हुए कहा था कि यह एक जनवरी, 2024 से लागू होगा।
आरबीआई ने कहा, “हालांकि, कुछ विनियमित संस्थाओं (आरई) द्वारा अपने आंतरिक तंत्र को नया आकार देने और परिपत्र को क्रियान्वित करने के लिए कुछ स्पष्टीकरण और अतिरिक्त समय मांगने पर इन निर्देशों को लागू करने की समय-सीमा को तीन महीने तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।”
इसके अनुरूप विनियमित संस्थाओं (बैंक और एनबीएफसी) को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि एक अप्रैल, 2024 से लिए जाने वाले सभी नए ऋणों के संबंध में ये निर्देश लागू किए जाएं।
आरबीआई ने कहा कि मौजूदा कर्जों के मामले में नई दंडात्मक शुल्क व्यवस्था का क्रियान्वयन एक अप्रैल, 2024 को या उसके बाद 30 जून तक पड़ने वाली अगली समीक्षा/ नवीनीकरण तिथि पर किया जाना चाहिए।
राजस्व वृद्धि के उपाय के रूप में दंडात्मक ब्याज का उपयोग करने वाले बैंकों और एनबीएफसी की गतिविधियों से चिंतित रिजर्व बैंक ने 18 अगस्त को मानदंडों में संशोधन किया था। इनके तहत ऋणदाता ऋणों के पुनर्भुगतान में चूक पर ‘उचित’ दंडात्मक शुल्क ही लगा सकेंगे।
इसमें कहा गया था कि बैंकों और अन्य ऋण देने वाले संस्थानों को एक जनवरी, 2024 से दंडात्मक ब्याज लगाने की अनुमति नहीं होगी।
भाषा अनुराग प्रेम
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