आरबीआई नीतिगत दर में और कटौती से पहले उभरती स्थिति पर रख रहा नजर: गवर्नर मल्होत्रा
आरबीआई नीतिगत दर में और कटौती से पहले उभरती स्थिति पर रख रहा नजर: गवर्नर मल्होत्रा
नयी दिल्ली, 16 जुलाई (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि केंद्रीय बैंक नीतिगत दर में आगे किसी भी कटौती का फैसला लेने से पहले उभरती स्थिति पर नजर रखते हुए ‘देखो और इंतजार करो’ का रुख अपनाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक वृद्धि और मूल्य स्थिरता दोनों समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) मुद्रास्फीति में गिरावट के साथ मानक रेपो दर में कटौती कर रही है। साथ ही इसने तटस्थ रुख अपनाया है। तटस्थ रुख का मतलब है कि रिजर्व बैंक जरूरत के मुताबिक प्रमुख ब्याज दर में घट-बढ़ कर सकता है।
केंद्रीय बैंक फरवरी से अबतक रेपो दर में कुल मिलाकर एक प्रतिशत की कटौती कर चुका है।
मल्होत्रा ने एक टीवी चैनल दिए साक्षात्कार में कहा कि मुद्रास्फीति के अनुमान पर आंतरिक आकलन किया जा रहा है और उन्हें नहीं पता कि यह तीन प्रतिशत होगी या नहीं। इसका कारण ये आकलन अभी चल रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम निश्चित रूप से अपना नवीनतम अनुमान जारी करेंगे और एमपीसी हमेशा की तरह, भविष्य के अनुमान को लेकर उभरती स्थिति को ध्यान में रखेगी। उसके आधार पर यह निर्णय लेगी कि अर्थव्यवस्था को वास्तव में किस प्रकार की नीतिगत दर की जरूरत है।’’
मल्होत्रा ने कहा, ‘‘अगर मुद्रास्फीति कम है… या वृद्धि दर कम है, तो निश्चित रूप से नीतिगत दर में कटौती की जा सकती है, लेकिन हमें इस पर नजर रखनी होगी।’’
गवर्नर के अनुसार, यह नहीं कहा जा सकता कि मुद्रास्फीति वृद्धि दर के आंकड़ों से ज्यादा महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि आप जानते हैं, हम मुख्य रूप से मूल्य स्थिरता पर ध्यान देते हैं। यही हमारा मुख्य कार्य है, हमारा प्राथमिक उद्देश्य है। और फिर हम वृद्धि दर पर भी ध्यान देते हैं। दोनों ही समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। मैं यह नहीं कहूंगा कि हम अभी किसी भी आंकड़े पर ज्यादा जोर दे रहे हैं।’’
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक अगले महीने चार से छह अगस्त को होने वाली है। मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा छह अगस्त को की जाएगी।
मल्होत्रा ने कहा कि नीतिगत दर में कटौती का असर अभी शुरुआती दौर में है। उनके पास अभी मई तक के आंकड़ें हैं।
मल्होत्रा ने कहा, ‘‘जून में हमने 0.5 प्रतिशत तक की कटौती की थी। कुल एक प्रतिशत के मुकाबले अभी एक प्रतिशत तक पहुंचने में काफी समय है… अभी भी, मेरे पास जून के आंकड़े नहीं हैं। मई तक यह 0.24 प्रतिशत था। मेरा मानना है कि इसमें सुधार हुआ है, लेकिन हमें अभी काफी दूरी तय करनी है।’’
भाषा रमण अजय
अजय

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