आरबीआई ने बैंक, एनबीएफसी के वैकल्पिक निवेश कोष में निवेश से जुड़े परिपत्र को संशोधित किया

आरबीआई ने बैंक, एनबीएफसी के वैकल्पिक निवेश कोष में निवेश से जुड़े परिपत्र को संशोधित किया

आरबीआई ने बैंक, एनबीएफसी के वैकल्पिक निवेश कोष में निवेश से जुड़े परिपत्र को संशोधित किया
Modified Date: March 27, 2024 / 09:26 pm IST
Published Date: March 27, 2024 9:26 pm IST

मुंबई, 27 मार्च (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को बैंकों और एनबीएफसी के लिए वैकल्पिक निवेश कोष में (एआईएफ) में निवेश को लेकर पूर्व में जारी परिपत्र में कुछ बदलाव किया है। इस मामले में मिली प्रतिक्रया के बाद कुछ जरूरतों को कम किया गया है।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि संशोधन आरबीआई के दायरे में आने वाली इकाइयों (बैंक, एनबीएफसी और अन्य वित्तीय संस्थान) के बीच क्रियान्वयन में एकरूपता सुनिश्चित करने और संबंधित पक्षों से प्राप्त विभिन्न प्रतिवेदनों में चिह्नित चिंताओं को दूर करने के नजरिये से किये गये हैं।

आरबीआई ने दिसंबर 2023 में बैंकों, कर्ज देने वाली गैर-बैंकिग वित्तीय इकाइयों (एनबीएफसी) और अन्य वित्तीय संस्थानों के वैकल्पिक निवेश कोष क्षेत्र में निवेश को नियंत्रित करने के मकसद से परिपत्र जारी किया था। इस मार्ग का उपयोग पुराने कर्ज को लेकर चूक से बचने के लिए नये कर्ज दिये जाने (एवरग्रिनिंग ऑफ लोन) को लेकर चिंता के बीच यह कदम उठाया गया था।

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शुरुआती चिंताओं के अनुसार, एआईएफ में बैंक और एनबीएफसी के निवेश का उपयोग ऋण चुकाने के उपाय के रूप में किया गया था। ऐसा नहीं होने पर उसे गैर-निष्पादित संपत्ति में वर्गीकृत किया जाता। बैंकों और वित्तीय संस्थानों के निवेश के बाद एआईएफ देनदार कंपनी में निवेश करता, जिससे संबंधित इकाई को कर्ज के मोर्चे पर राहत मिल जाती।

केंद्रीय बैंक के स्पष्टीकरण के बाद, एआईएफ योजना में बैंक और एनबीएफसी के निवेश की सीमा तक ही प्रावधान की आवश्यकता होगी। न कि एआईएफ योजना में इन वित्तीय संस्थानों के संपूर्ण निवेश पर प्रावधान करना होगा।

गौरतलब है कि बैंकों और एनबीएफसी को अपने एआईएफ निवेश के मुकाबले 100 प्रतिशत प्रावधान करना था और कई वित्तीय संस्थाओं को इस आवश्यकता के कारण मुनाफे पर असर पड़ रहा था।

संशोधित परिपत्र में कहा गया है कि ‘डाउनस्ट्रीम निवेश’ में आरबीआई के दायरे में आने वाले वित्तीय संस्थानों की देनदार कंपनी के इक्विटी शेयरों में निवेश शामिल नहीं होगा। लेकिन इसमें हाइब्रिड उत्पादों में निवेश सहित अन्य सभी निवेश शामिल होंगे।

किसी भारतीय कंपनी (जो विदेशियों के स्वामित्व या नियंत्रण में है) के किसी अन्य भारतीय इकाई में निवेश को अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश माना जाता है। इसे ‘डाउनस्ट्रीम’ निवेश के रूप में भी जाना जाता है।

वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी ऋणदाताओं, आवास वित्त कंपनियों और अन्य वित्तीय संस्थानों सहित एनबीएफसी से संबद्ध संशोधित परिपत्र में कहा गया है कि पूंजी से कटौती वित्तीय संस्थानों की टियर -1 (शेयर पूंजी) और टियर -2 (पूरक पूंजी) पूंजी से समान रूप से होगी।

संशोधित परिपत्र में स्पष्ट किया गया है कि ‘फंड ऑफ फंड्स’ या म्यूचुअल फंड जैसे मध्यस्थों के माध्यम से एआईएफ में आरबीआई के दायरे में आने वाली इकाइयों का निवेश इस परिपत्र के दायरे में नहीं है।

भाषा रमण अजय

अजय


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