आरबीआई को चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में 9.5 प्रतिशत गिरावट का अनुमान

आरबीआई को चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में 9.5 प्रतिशत गिरावट का अनुमान

आरबीआई को चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में 9.5 प्रतिशत गिरावट का अनुमान
Modified Date: November 29, 2022 / 08:56 pm IST
Published Date: October 9, 2020 10:24 am IST

मुंबई, नौ अक्टूबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने घरेलू व वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस महामारी के असर के कारण चालू वित्त वर्ष में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 9.5 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान जताया है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने तीन दिनों तक नवगठित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की चली बैठक के निष्कर्षों की घोषणा करते हुए कहा कि जीडीपी चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में वृद्धि की राह पर लौट सकती है और 0.5 प्रतिशत बढ़ सकती है।

दास ने कहा, ‘‘विभिन्न कारकों और कोविड-19 की अनिश्चित स्थिति को देखते हुए 2020-21 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर के नकारात्मक रहने का अनुमान है। जीडीपी में इस दौरान 9.5 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है, जो 9.8 प्रतिशत तक भी पहुंच सकती है। जीडीपी गिरावट तीसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि इसमें चौथी तिमाही में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 20.6 प्रतिशत पर पहुंच सकती है।’’

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उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट आयी है। इसका मुख्य कारण कोरोना वायरस महामारी तथा इसकी रोकथाम के लिये देश भर में लगाये गये लॉकडाउन से सामान्य व्यावसायिक गतिविधियों में आया व्यवधान है।

दास ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार के और मजबूत होने की उम्मीद है, जबकि शहरी मांग में सुरक्षित आपसी दूरी के प्रावधान तथा कोविड-19 के बढ़ते मामलों के कारण सुधार होने की फिलहाल कम संभावना है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘‘संपर्क पर निर्भर सेवा क्षेत्र को कोविड से पहले के स्तरों को फिर से हासिल करने में समय लगेगा, लेकिन विनिर्माण कंपनियों के क्षमता के इस्तेमाल में तीसरी तिमाही में सुधार आने की और चौथी तिमाही में इसके गति पकड़ने की उम्म्मीद है। निजी निवेश और निर्यात दोनों के कम रहने की आशंका है, विशेषकर इस कारण कि बाहरी मांग अभी भी सुस्त है।’’

मौद्रिक नीति समिति की बुधवार को शुरू हुई बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस के खिलाफ अभियान में निर्णायक चरण में प्रवेश कर रही है।

दास ने कहा, ‘‘अप्रैल- जून तिमाही में अर्थव्यवस्था में आई गिरावट अब पीछे रह गयी है और अर्थव्यवस्था में उम्मीद की किरण दिखने लगी है …।’’ उन्होंने विनिर्माण क्षेत्र और ऊर्जा खपत में तेजी का जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि भारत महामारी के प्रसार की दूसरी लहर को रोकते हुए वायरस की घातक चपेट से बाहर निकलने और कोविड से पहले की वृद्धि दर हासिल करने के लिये तैयार है।

आर्थिक स्थिति के उबरने के प्रकार के बारे में जारी बहस के संदर्भ में दास ने कहा कि मुख्य रूप से उबरने की गति तीन प्रकार के होने के अनुमान हैं, क्योंकि अलग अलग क्षेत्र अलग गति दिखा रहे हैं और यह क्षेत्र विशेष की वास्तविकताओं पर निर्भर करेगा।

उन्होंने कहा कि कृषि और संबद्ध गतिविधियां, एफएमसीजी (दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियां), दोपहिया व यात्री वाहन, ट्रैक्टर, दवा और बिजली विशेष रूप से नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन आदि जैसे क्षेत्रों ने महामारी के समक्ष दृढ़ता का प्रदर्शन किया है। ऐसे क्षेत्रों के जल्द सामान्य होने की उम्मीद है।

इसके अलावा कृषि विपणन और शीत भंडारण, परिवहन और प्रसंस्करण समेत मूल्य श्रृंखला में सुधार, श्रम कानूनों में बदलाव और टीकों के उत्पादन व वितरण के लिये क्षमता निर्माण आदि ने पहले से ही निवेश के नये आयाम खोले हैं।

भाषा सुमन रमण

रमण


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