खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी में घटकर 5.1 प्रतिशत पर, तीन महीने का निचला स्तर

खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी में घटकर 5.1 प्रतिशत पर, तीन महीने का निचला स्तर

खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी में घटकर 5.1 प्रतिशत पर, तीन महीने का निचला स्तर
Modified Date: February 12, 2024 / 09:21 pm IST
Published Date: February 12, 2024 9:21 pm IST

नयी दिल्ली, 12 फरवरी (भाषा) सब्जी, फल और अन्य खाद्य वस्तुओं के दाम कम होने से खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी में नरम होकर 5.1 प्रतिशत पर आ गई। यह इसका तीन महीने का निचला स्तर है। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़े में यह जानकारी दी गयी।

खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट इस बात का संकेत है कि यह भारतीय रिजर्व बैंक चार प्रतिशत के संतोषजनक स्तर की ओर बढ़ रही है।

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उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर में 4.9 प्रतिशत तक नीचे आ गयी थी। उसके बाद, दो महीने इसमें वृद्धि दर्ज की गयी। दिसंबर में यह 5.69 प्रतिशत थी और जनवरी, 2023 में 6.52 प्रतिशत थी।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की वृद्धि दर इस साल जनवरी में 8.3 प्रतिशत रही जो इससे पिछले महीने के 9.53 प्रतिशत से कम है।

गांवों में खाद्य महंगाई 7.91 प्रतिशत रही, जबकि देश के शहरी क्षेत्रों में यह 9.02 प्रतिशत थी।

ताजा आंकड़ों के अनुसार, तेल और वसा, दाल और उसके उत्पाद, मसाला, फल और सब्जियों की मुद्रास्फीति जनवरी में दिसंबर, 2023 की तुलना में नीचे रही।

हालांकि, ईंधन और प्रकाश, कपड़ा तथा जूता-चप्पल, अनाज तथा उसके उत्पाद, मांस और मछली तथा अंडा खंड में मासिक आधार पर महंगाई दर ऊंची रही।

आंकड़ों के अनुसार, असम, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में मुद्रास्फीति राष्ट्रीय औसत 5.1 प्रतिशत से अधिक रही।

इस साल जनवरी में सबसे कम खुदरा महंगाई दर 2.56 प्रतिशत दिल्ली में रही।

रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि रबी की बुवाई पिछले साल के स्तर के बराबर हो गई है, लेकिन ज्यादातर क्षेत्रों में जलाशयों का भंडारण साल भर पहले के स्तर से काफी नीचे है। इससे रबी की फसल के दृष्टिकोण के संदर्भ में रुख सतर्क बना हुआ है।

उन्होंने कहा, “हमारा अनुमान है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति फरवरी-मार्च, 2024 में पांच प्रतिशत से कम हो जाएगी। वित्त वर्ष 2023-24 में इसके औसतन 5.3 प्रतिशत रहने की संभावना है।’’

नायर ने कहा, ‘‘उसके बाद अगले वित्त वर्ष 2024-25 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो लगभग रिजर्व बैंक के अनुमान के अनुरूप है।’’

भारतीय रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।

पिछले सप्ताह आरबीआई ने मौद्रिक नीति समीक्षा में मानसून सामान्य रहने के अनुमान के आधार पर अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी थी। यह 2023-24 के 5.4 प्रतिशत के अनुमान से कम है।

एनएसओ ने आंकड़ें चुने गये 1,114 शहरी बाजारों और 1,181 गांवों से साप्ताहिक आधार पर एकत्रित किये। इसमें सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के क्षेत्र शामिल हैं।

भाषा

रमण अजय

अजय


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