एसबीआई अधिकारी ने ‘अकाउंट एग्रीगेटर’ की एकल सहमति प्रणाली पर जताई चिंता

एसबीआई अधिकारी ने 'अकाउंट एग्रीगेटर' की एकल सहमति प्रणाली पर जताई चिंता

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  • Publish Date - December 10, 2025 / 02:59 PM IST,
    Updated On - December 10, 2025 / 02:59 PM IST

मुंबई, 10 दिसंबर (भाषा) भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के प्रबंध निदेशक अश्विनी कुमार तिवारी ने बुधवार को ‘अकाउंट एग्रीगेटर’ के ग्राहकों से सभी वित्तीय सेवाओं के लिए एक ही बार में सहमति लेने की प्रणाली को लेकर चिंता व्यक्त की।

तिवारी ने एक कार्यक्रम में कहा कि ज्यादातर ग्राहक बारीक अक्षरों को पढ़ते नहीं हैं और बिना विवरण समझे ही सहमति दे देते हैं।

अकाउंट एग्रीगेटर (एए), भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा विनियमित एक इकाई है जो सहमति-आधारित डेटा मध्यस्थ के रूप में कार्य करती है। एए ढाका, आरबीआई द्वारा वित्तीय संस्थानों के बीच डेटा साझा करने को आसान बनाने के लिए लाया गया था ताकि निर्णय तेजी से लिए जा सकें। इस समय एए पर करीब 22.5 करोड़ उपयोगकर्ता हैं।

तिवारी ने कहा कि ग्राहक की एक ही सहमति सभी वित्तीय सेवाओं के उत्पादों जैसे कर्ज देना, संपत्ति प्रबंधन या खाता खोलने के लिए इस्तेमाल की जाती है।

उन्होंने बताया कि ग्राहक से सहमति केवल एक बार ली जाती है, ग्राहक अधिकतर बारीक अक्षरों को पढ़े बिना ही सहमति दे देते हैं और बिना समझे ‘साइन-अप’ कर बैठते हैं।

तिवारी ने कहा,‘‘ मैं इस बारे में थोड़ा चिंतित हूं… कोई भी बारीक अक्षर नहीं समझता। वे हर चीज के लिए एक ही सहमति दे देते हैं। क्या यह ठीक है? शायद नहीं। ’’

उन्होंने कहा कि हम ऐसे दौर में हैं जहां गोपनीयता का बहुत महत्व है। यूरोप में जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेग्यूलेशन (जीडीपीआर) जैसे कानून मौजूद हैं जबकि हम भारत में ऐसी व्यवस्था के साथ काम कर रहे हैं जहां ग्राहकों में समझ की कमी है।

एसबीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) क्षेत्र के लिए बने स्व-नियामक संगठन इस समस्या के सही समाधान को खोजने में सफल नहीं रहे हैं।

भाषा पाण्डेय निहारिका

निहारिका