मुंबई, 24 जुलाई (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधबी पुरी बुच ने सोमवार को कहा कि पूंजी बाजार नियामक पूरी तरह से नया ढांचा पेश करने पर गौर कर रहा है जिसमें उद्योग स्वयं नियमों को लागू करने के तरीके विकसित करेगा। इससे उद्योग को नये विधान को लागू करने में आसानी होगी।
उन्होंने सूचीबद्धता समाप्त करने की प्रक्रिया की समीक्षा की भी घोषणा की और दिसंबर तक परामर्श पत्र जारी करने की बात कही। इसका उद्देश्य कंपनियों के लिये इस तरह के कदम उठाना आसान बनाना है।
नियमों के नये ढांचे के बारे में बुच ने कहा कि सेबी को प्रतिभागियों की तरफ से नियामक की तरफ से घोषित नियमों के क्रियान्वयन में होने वाली कठिनाइयों को लेकर बार-बार प्रतिक्रिया मिली है। इसी को देखते हुए इस पायलट परियोजना पर विचार किया गया है।
सेबी प्रमुख ने कहा कि यह नियामकीय ‘सैंडबॉक्स’ की तरह होगा। यह व्यवस्था संभावित नियमों के लिये होगी और अगर उद्योग कुछ चुनौतियों को लेकर आता है, मौजूदा नियमन में इसका उपयोग किया जा सकता है।
नियामकीय ‘सैंडबॉक्स’ वित्तीय क्षेत्र के नियामक की तरफ से स्थापित एक ढांचा है। यह नियामक की देखरेख में नियंत्रित परिवेश में निजी कंपनियों के नवोन्मेष के छोटे पैमाने पर ‘कामकाज के स्तर पर परीक्षण’ की अनुमति देता है।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह व्यवस्था नियमों के क्रियान्वयन में उद्योग की मदद के लिये है। इसके कारण किसी नियम को टाला नहीं जाएगा।
सेबी प्रमुख ने कहा कि म्यूचुअल फंड में केवल 40 कंपनियां काम कर रही हैं। इसे उद्योग संगठन एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्य इन इंडिया के जरिये ऐसे नियमों के लिये लागू किया जा सकता है। लेकिन सूचीबद्ध कंपनियों के लिये व्यापक स्तर पर इसे क्रियान्वित करना मुश्किल होगा।
सेबी ने उद्योग मंडल सीआईआई, फिक्की, भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई), इंस्टिट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (आईसीएसआई) के साथ निफ्टी 50 में शामिल कंपनियों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों को प्रस्तावित नियामकीय सैंडबॉक्स के बारे में पत्र लिखा है।
बुच ने कहा कि उद्योग को अपना मानक स्वयं तैयार करना चाहिए और उसे क्रियान्वित करने से पहले सेबी के साथ साझा करना चाहिए।
भाषा रमण अजय
अजय
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