जीएम बैगन की परीक्षण खेती की अनुमति नहीं देने से बीज कंपनियों का संगठन निराश
जीएम बैगन की परीक्षण खेती की अनुमति नहीं देने से बीज कंपनियों का संगठन निराश
नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) बीज उद्योग के एक मंच ने बुधवार को बीटी बैंगन सहित आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों की खेती परीक्षण की अनुमति नहीं देने के केन्द्र सरकार के ‘प्रतिगामी निर्णय’ पर निराशा व्यक्त की। उसका मानना है कि ऐसा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सिफारिशों पर बिना गौर किये गये किया गया है।
सोमवार को राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था, ‘यह निर्णय लिया गया है कि बीटी बैंगन सहित जीएम फसलों के खेत परीक्षण के प्रस्तावों को, संबंधित राज्य या केन्द्र शासित प्रदेश की सरकारों की सिफारिशों के बगैर जीईएसी में विचार के लिए नहीं लिया जाएगा।’’
ट्रांसजेनिक फसल परीक्षणों पर मंत्री की प्रतिक्रिया पर निराशा व्यक्त करते हुए भारतीय बीज उद्योग महासंघ (एफएसआईआई) के कार्यकारी निदेशक शिवेंद्र बजाज ने कहा, ‘यह आगे भारत में ट्रांसजेनिक फसलों के खेत में परीक्षण के पहले से ही बोझिल प्रक्रिया को और जटिल बनाता है।’
उन्होंने कहा कि विनियामक प्रक्रिया के अनुसार, जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (जीईएसी) खेत परीक्षणों को संचालित करने के लिए आवेदन के साथ प्रस्तुत आंकड़ों की समीक्षा करती है और प्रस्तुत आंकड़े की सुरक्षा की समीक्षा करने और खेत परीक्षणों के लिए अंतिम अनुमोदन प्रदान करने के लिए वह कानून द्वारा तय किया गया एकमात्र निकाय है।
उन्होंने कहा, ‘राज्यों के लिए आंकड़ों की समीक्षा करना और निर्णय लेना संभव नहीं है। जीएम फसलें कठोर सुरक्षा मूल्यांकन से गुजरती हैं और वैज्ञानिक अनुसंधान परीक्षणों को करना, इस सुरक्षा मूल्यांकन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।’
बजाज ने कहा कि प्रस्तावित प्रक्रिया, विज्ञान को कृषि जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में प्रगति के संदर्भ में एक प्रश्न चिह्न लगाती है।
एफएसआईआई और एलायंस फॉर एग्री इनोवेशन के महानिदेशक राम कौंडिन्य ने कहा, ‘यह इस क्षेत्र में भारतीय निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा किए गए भारी निवेश और साथ ही सार्वजनिक संस्थानों के माध्यम से सरकार द्वारा किए जा रहे निवेश को खतरे में डालेगा।’
भाषा राजेश राजेश मनोहर
मनोहर

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