दक्षिणी रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा के साथ किया समझौता, दोषपूर्ण कोच का उपयोग किया: कैग रिपोर्ट

दक्षिणी रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा के साथ किया समझौता, दोषपूर्ण कोच का उपयोग किया: कैग रिपोर्ट

दक्षिणी रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा के साथ किया समझौता, दोषपूर्ण कोच का उपयोग किया: कैग रिपोर्ट
Modified Date: July 21, 2025 / 10:26 pm IST
Published Date: July 21, 2025 10:26 pm IST

नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) दक्षिणी रेलवे ने जुलाई, 2023 में नीलगिरि पर्वतीय खंड पर मंत्रालय की अनुमति के बिना विशेष ट्रेन के रूप में काम करने के लिए दोषपूर्ण कोचों को शुरू करके यात्रियों की सुरक्षा के साथ समझौता किया। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने सोमवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में यह कहा।

कैग ने अपनी सिफारिशों में कहा, ‘‘रेल मंत्रालय आरडीएसओ (अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन) के परामर्श से ‘प्रोटोटाइप’ कोच के विकास के लिए एक मजबूत प्रणाली विकसित कर सकता है। सफल परीक्षण के बाद ही रेल डिब्बों का नियमित उत्पादन शुरू किया जाना चाहिए।’’

रिपोर्ट में देशभर के विभिन्न रेलवे जोन से प्राप्त 25 लेखापरीक्षा निष्कर्षों को शामिल किया गया है और 543.17 करोड़ रुपये के कम या अधिक भुगतान के मामलों का उल्लेख किया गया है।

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दक्षिणी रेलवे (एसआर) के अंतर्गत नीलगिरि माउंटेन रेलवे (एनएमआर) के संबंध में लेखापरीक्षा निष्कर्षों में न केवल 27.91 करोड़ रुपये की वित्तीय कमी की ओर इशारा किया है, बल्कि यह भी उजागर किया गया है कि रेलवे का अनुचित निर्णय एक गंभीर चूक भी है। रेल मंत्रालय की मंजूरी के बिना विशेष ट्रेन के रूप में काम करने के लिए दोषपूर्ण कोचों को पेश करके यात्रियों की सुरक्षा से समझौता किया गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 45.88 किलोमीटर लंबे मेट्टुपालयम और उदगमंडलम स्टेशनों के बीच संचालित 100 साल पुराने 28 कोचों को बदलने के लिए, दक्षिणी रेलवे ने मई, 2015 में रेल मंत्रालय से संपर्क किया और इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) को एनएमआर (नीलगिरी माउंटेन रेलवे) के अनुरूप एक प्रोटोटाइप कोच डिजाइन और विकसित करने की सलाह दी।

मंत्रालय ने जुलाई, 2015 में आईसीएफ को दक्षिणी रेलवे से प्राप्त सूचना के आधार पर अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन के परामर्श से एनएमआर के लिए एक ‘प्रोटोटाइप’ कोच बनाने की सलाह दी।

आईसीएफ ने शुरुआत में 15 कोच बनाए और उन्हें दक्षिणी रेलवे को सौंप दिया। उसके बाद दो अप्रैल, 2019 को पहले चार कोच के साथ मेट्टुपालयम से उदगमंडलम तक परीक्षण के तौर पर परिचालन किया गया।

रिपोर्ट में पाया गया कि परीक्षण ढलान वाले खंड पर नहीं किया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘दक्षिणी रेलवे ने (मार्च 2020 में) देखा कि नए कोचों के वजन में लगभग पांच टन प्रति कोच की वृद्धि हुई है और आईसीएफ को शेष 13 कोचों का वजन कम करने की सलाह दी, जिनका विनिर्माण अभी बाकी था। हालांकि, आईसीएफ ने इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की और 13 और एनएमआर कोचों का विनिर्माण किया गया और तीन खेप में दक्षिणी रेलवे को इसकी आपूर्ति की गयी।।’’

इसमें कहा गया है कि कुल मिलाकर, आईसीएफ द्वारा 28 एनएमआर कोच का विनिर्माण किया गया और कुल 27.91 करोड़ रुपये की लागत से दक्षिणी रेलवे को वितरित किए गए। लेकिन इन कोचों के डिजाइन, लेआउट और विनिर्माण को आरडीएसओ के साथ किसी भी परामर्श के बिना और ‘प्रोटोटाइप’ कोच के विनिर्माण और सफल परीक्षण का पता लगाए बिना ही रोक दिया गया।

भाषा रमण अजय

अजय


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