स्टेट बैंक जैविक कपास उत्पादकों के लिए ‘‘सफल’ रिण उत्पाद पेश करने की तैयारी में

स्टेट बैंक जैविक कपास उत्पादकों के लिए ‘‘सफल’ रिण उत्पाद पेश करने की तैयारी में

स्टेट बैंक जैविक कपास उत्पादकों के लिए ‘‘सफल’  रिण उत्पाद पेश करने की तैयारी में
Modified Date: November 29, 2022 / 08:09 pm IST
Published Date: September 8, 2020 1:14 pm IST

नयी दिल्ली, आठ सितंबर (भाषा) भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ऐसे जैविक कपास उत्पादकों के लिये जिन्होंने पहले कभी कर्ज नहीं लिया, एक नया ऋण उत्पाद, ‘सफल’ पेश करने की योजना बना रहा है। देश के इस सबसे बड़े ऋणदाता बैंक के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

एसबीआई के प्रबंध निदेशक सी एस सेट्टी ने फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा आयोजित फिनटेक सम्मेलन में कहा कि बैंक कारोबार बढ़ाने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) का बड़े पैमाने पर उपयोग कर रहा है।

सेट्टी ने कहा, ‘‘हम इस तथाकथित खुदरा क्षेत्र से आगे निकलकर … जैसे कि किसानों तक पहुंचना चाहते हैं। आज मैं केवल फसली ऋण ही नहीं दे रहे हूं … हम एक नया उत्पाद सुरक्षित एवं त्वरित कृषि ऋण (सफल) पेश करने की तैयारी में हैं। एक कंपनी है जिसने सभी जैविक कपास उत्पादकों का ब्लॉकचेन के आधार पर एक डेटाबेस तैयार किया है।’’

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उन्होंने आगे कहा कि दुनिया भर में इस कपास का कोई भी खरीदार यह जाँच कर सकता है कि किसान वास्तव में जैविक कपास उगा रहा है या नहीं।

उन्होंने कहा, ‘‘हम केवल डेटा ले रहे हैं और उन्हें क्रेडिट लिंकेज प्रदान कर रहे हैं क्योंकि उनके पास ऋण लेने का कोई इतिहास नहीं है। वे फसल ऋण लेने वाले नहीं हैं, लेकिन हमें उन्हें अपने साथ लेने की क्षमता है क्योंकि प्रौद्योगिकी ने उन्हें एक दूसरे के पास लाई है और उन्हें बाजार दृश्यता प्रदान की है।’’

एआई और एमएल के उपयोग का एक और उदाहरण देते हुए, सेट्टी ने कहा कि बैंक ने 17 लाख पूर्व-अनुमोदित ऋण दिये हैं और लॉकडाउन के दौरान इस उत्पाद के तहत 21,000 करोड़ के कारोबार बुक किये गये हैं।

यह देखते हुए कि डेटा विश्लेषण की शक्ति को बैंक ने पूरी तरह से सराहा है, उन्होंने कहा, ‘‘हमारा एआई / एमएल विभाग एक प्रयोगात्मक विभाग नहीं है, यह एक व्यवसाय-उन्मुख विभाग है। हमने पिछले दो साल में लगभग 1,100 करोड़ रुपये की शुद्ध आय सृजित की है।”

भाषा राजेश

राजेश महाबीर

महाबीर


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