पाकिस्तान को कर छूट देने से 2024-25 में 21 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का नुकसान:आर्थिक समीक्षा
पाकिस्तान को कर छूट देने से 2024-25 में 21 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का नुकसान:आर्थिक समीक्षा
(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 10 जून (भाषा) पाकिस्तान को विभिन्न क्षेत्रों को कर छूट देने से वित्त वर्ष 2024-25 में 21 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है। यह देश को अपने परिपक्व हो रहे वाणिज्यिक और द्विपक्षीय बाह्य ऋण के एवज में चुकाने के लिए आवश्यक 17 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब द्वारा सोमवार को जारी पाकिस्तान की आर्थिक समीक्षा 2024-25 में वित्त वर्ष से जुड़े विभिन्न आर्थिक वृद्धि एवं संकेतकों का ब्योरा दिया गया है।
दस्तावेज के अनुसार, चालू वित्त वर्ष (2024-25) में कर छूट की लागत बढ़कर रिकॉर्ड 5800 अरब रुपये हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के 3900 अरब रुपये से करीब 2000 अरब रुपये अधिक है।
पाकिस्तान एक जुलाई से 30 जून तक के वित्त वर्ष का अनुसरण करता है।
समाचार पत्र ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के अनुसार, डॉलर के संदर्भ में कर घाटे की लागत 21 अरब अमेरिकी डॉलर थी, जो कि पाकिस्तान को चीन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत के परिपक्व हो रहे वाणिज्यिक एवं द्विपक्षीय बाह्य ऋण के तहत इस वित्त वर्ष चुकाने के लिए आवश्यक 17 अरब अमेरिकी डॉलर से काफी अधिक है।
आर्थिक समीक्षा के अनुसार, कर व्यय 1960 अरब रुपये या 51 प्रतिशत बढ़ा जबकि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सरकार ने अपने पिछले बजट में कई छूटों को हटा दिया था। कर रियायतों और छूटों को कई बार वापस लेने के बावजूद कर राशि में हर वर्ष वृद्धि जारी रही है।
वर्षों से ये स्वीकृत छूटें तीन अलग-अलग कर कानूनों के तहत दी जा रही हैं।
समीक्षा में कहा गया चालू वित्त वर्ष में बिक्री कर छूट करीब 50 प्रतिशत बढ़कर 4300 अरब रुपये हो गई जो पिछले वर्ष 2900 अरब रुपये थी।
संघीय राजस्व बोर्ड के अनुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में आयकर छूट की कुल राशि 801 अरब रुपये रहेगी जो पिछले वर्ष की 477 अरब रुपये से 68 प्रतिशत अधिक है।
यह वृद्धि सरकार के वेतनभोगियों पर अधिक कर का बोझ डालने तथा खुदरा विक्रेताओं जैसे अन्य क्षेत्रों को इससे मुक्त रखने के निर्णय के बावजूद दर्ज की गई।
समीक्षा के अनुसार इस वित्त वर्ष में सीमा शुल्क छूट बढ़कर 786 अरब रुपये हो गई, जो पिछले वर्ष के 543 अरब रुपये से 243 अरब रुपये या 45 प्रतिशत अधिक है।
खबर के अनुसार, ‘‘ 2025 के लिए कर व्यय’’ के रूप में 5800 अरब रुपये की राशि का अनुमान पूर्व में प्रकाशित घाटे की विश्वसनीयता पर संदेह उत्पन्न करता है।
कर व्यय को कम करने एवं समाप्त करने के लिए सरकारों के लगातार किए गए प्रयासों के बावजूद, यह लगातार बढ़ रहा है।
समाचार पत्र के अनुसार, यह या तो वित्त वर्ष के दौरान कई छिपी हुई कर छूटों की शुरुआत या पिछले वर्ष के आंकड़ों को कम करके दिखाने का संकेत देता है।
खबर में कहा गया है कि कर छूट लागत में इतनी तीव्र वृद्धि को उचित ठहराने के लिए आर्थिक गतिविधि में कोई असाधारण वृद्धि नहीं हुई है।
भाषा निहारिका मनीषा
मनीषा

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