शुल्क वृद्धि, कोविड बाद डेटा का इस्तेमाल बढ़ने से दूरसंचार उद्योग का एआरपीयू बढ़ेगा : रिपोर्ट | Telecom industry's ARPU to grow as fee hike, use of covid post data increase: report

शुल्क वृद्धि, कोविड बाद डेटा का इस्तेमाल बढ़ने से दूरसंचार उद्योग का एआरपीयू बढ़ेगा : रिपोर्ट

शुल्क वृद्धि, कोविड बाद डेटा का इस्तेमाल बढ़ने से दूरसंचार उद्योग का एआरपीयू बढ़ेगा : रिपोर्ट

शुल्क वृद्धि, कोविड बाद डेटा का इस्तेमाल बढ़ने से दूरसंचार उद्योग का एआरपीयू बढ़ेगा : रिपोर्ट
Modified Date: November 29, 2022 / 08:59 pm IST
Published Date: October 12, 2020 1:00 pm IST

नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर (भाषा) दूरसंचार उद्योग की प्रति ग्राहक औसत कमाई (एआरपीयू) में ‘संरचनात्मक तरीके से वृद्धि’ देखने को मिलेगी। सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नियामक या बाजार आधारित शुल्क वृद्धि के अलावा कोविड-19 के बाद डेटा का इस्तेमाल बढ़ने से उद्योग का एआरपीयू बढ़ेगा।

जेएम फाइनेंशियल के नोट ‘प्रभुत्व, रक्षा और बचाव की एक कहानी’ में कहा गया है कि दूरसंचार उद्योग का एकीकरण काफी हद तक पूरा हो गया है। एआरपीयू में बढ़ोतरी तय है, ऐसे में वायरलेस उद्योग का राजस्व 2024-25 तक दोगुना होकर 2,60,000 करोड़ रुपये पर पहुंच जाने की उम्मीद है।

रिपोर्ट का कहा गया है, ‘‘हमारा अनुमान है कि उद्योग का राजस्व 2024-25 तक दोगुना होकर 2,600 अरब रुपये हो जाएगा। उद्योग की भविष्य की निवेश जरूरत को देखते हुए एआरपीयू में बढ़ोतरी लगभग तय है। इसके लिए 2024-25 तक एआरपीयू 230 से 250 रुपये तथा कर-पूर्व आरओसीई (लगाई गई पूंजी पर रिटर्न) 12-15 प्रतिशत होना चाहिए, तभी निवेश को न्यायोचित ठहराया जा सकेगा। इसके अलावा बाजार में द्वयाधिकार नहीं होना चएहिए। वोडाफोन आइडिया को बाजार में टिके रहने के लिए 2022-23 तक कम से कम 190 से 200 रुपये के एआरपीयू की जरूरत है।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि फाइबर-टू-द-होम और एंटरप्राइज कनेक्टिविटी कारोबार अभी शुरुआती चरण में है। ये वृद्धि का नया इंजन साबित हो सकते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि शुल्क वृद्धि (चाहे नियामक आधारित हो या बाजार) और कोविड-19 के बाद डेटा का इस्तेमाल बढ़ने से उद्योग के एआरपीयू में संरचनात्मक वृद्धि होगी।

रिपोर्ट कहती है कि गहन प्रतिस्पर्धा की वजह से निकट भविष्य में शुल्क वृद्धि का समय ‘अनिश्चित’ है। उद्योग की सेहत के संरक्षण के लिए नियामकीय हस्तक्षेप की संभावना है। ऐसी स्थिति में बाजार आधारित शुल्क वृद्धि में उल्लेखनीय विलंब होगा।

भाषा अजय

अजय मनोहर

मनोहर

लेखक के बारे में