राजस्‍थान में पोटाश खनन की खास तकनीक पर काम के लिए त्रिपक्षीय समझौता

राजस्‍थान में पोटाश खनन की खास तकनीक पर काम के लिए त्रिपक्षीय समझौता

राजस्‍थान में पोटाश खनन की खास तकनीक पर काम के लिए त्रिपक्षीय समझौता
Modified Date: November 29, 2022 / 08:26 pm IST
Published Date: January 22, 2021 11:28 am IST

नयी दिल्ली, 22 जनवरी (भाषा) सरकार ने शुक्रवार को बताया कि राजस्‍थान में पोटाश की खास खनन तकनीक यानी सॉल्यूशन माइनिंग का व्‍यावहारिक अध्‍ययन करने के लिए मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (एमईसीएल), राजस्थान स्टेट माइंस एंड मिनरल्स लिमिटेड (आरएसएमएमएल) और राजस्‍थान सरकार के खान एवं भू-विज्ञान विभाग (डीएमजी) के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्‍ताक्षर किए गए हैं।

इस समझौता ज्ञापन पर केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी, केंद्रीय संसदीय मामलों और भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल तथा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की उपस्थिति में वीडियो-संपर्क के माध्यम से हस्ताक्षर किए गए।

सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, जोशी ने कहा कि इस समझौता ज्ञापन से सॉल्‍यूशन माइनिंग के माध्‍यम से उप-सतही नमक जमा करने के लिए व्‍यावहारिक अध्ययन करने का मार्ग प्रशस्त होगा, राजस्थान के समृद्ध खनिज भंडार का उपयोग होगा, राज्‍य की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा त‍था राज्‍य देश के पहले पोटाश सॉल्‍यूशन माइनिंग के एक केंद्र के रूप में स्थापित होगा।

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राजस्थान में नागौर-गंगानगर की 50 हजार वर्ग किलोमीटर की पट्टी में पोटश का भारी भंडार है। भारतीय भूगर्भ सर्वे (जीएसआई) और एमईसीएल का अनुमान है कि इस इलाके में 247.66 करोड़ टन पोटाश और 2220 करोड़ टन हैलाइट (सेंधानमक) उपलब्ध है।

भाषा मनोहर अजय

अजय


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