दिल्ली में क्या पका…आखिर BJP बस्तर से ही क्यों कर कर रही है चिंतन शिविर की शुरूआत?
दिल्ली में क्या पका...After all, why is the BJP starting the Chintan Shivir from Bastar itself?
रायपुर: छत्तीसगढ़ में मिशन 2023 के लिए चुनावी रणनीति बनने लगी है, बीजेपी-कांग्रेस दोनों ही पार्टियां चुनावी मोड में आ गई है। कांग्रेस में खुद सीएम भूपेश बघेल ने मोर्चा संभाला है और कार्यकर्ताओं से संवाद कर रहे हैं। हालांकि मौजूदा हालात को देखें तो कांग्रेस से ज्यादा हलचल बीजेपी में दिख रही है। रायपुर से दिल्ली तक नेताओं की दौड़ लगी है। चुनाव से पहले संगठन को हर स्तर पर कसने की कवायद हो रही है। बस्तर में चिंतन शिविर से पहले केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह के दिल्ली स्थित बंगले पर हुई बैठक में कई बीजेपी नेता शामिल हुए। अब सवाल ये है कि दिल्ली में क्या सियासी खिचड़ी पकी? सवाल ये भी कि आखिर बीजेपी चिंतन शिविर की शुरूआत बस्तर से ही क्यों कर कर रही है?
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव भले 2023 में होनी है, लेकिन चुनावी बिसात 2021 में ही बिछने लगी है। खास तौर पर बीजेपी दोबारा सत्ता में वापसी के लिए बैचेन है। बीजेपी संगठन में इन दिनों बढ़ी हलचल बताती है कि पार्टी ने आगामी चुनाव की तैयारी में जुट गई है। चुनावी तैयारियों को धार देने और सरकार की घेराबंदी करने के लिए बीजेपी अपने अभियान की शुरुआत बस्तर में आयोजित चिंतन शिविर से करेगी। तीन दिवसीय इस शिविर में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भी आमंत्रित किया गया है। हालांकि शिविर में कौन शामिल होंगे और किन-किन मुद्दों पर चर्चा होगी, इस विचार विमर्श चल रहा है।
बीजेपी की चिंतन शिविर बस्तर में होनी है, लेकिन इसका एजेंडा क्या होगा? बैठक में कौन-कौन नेता शामिल होंगे? आखिर बस्तर में ही बैठक क्यों? ऐसे कई सवाल हैं, जो सियासी गलियारों में उठ रहे हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ की सियासत में इससे ज्यादा चर्चा केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह के दिल्ली स्थित बंगले में हुई रात्रि भोज को लेकर हो रही है, जिसमें राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी, प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय, प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय शामिल हुए। इसके अलावा छत्तीसगढ़ से नारायण चंदेल, बृजमोहन अग्रवाल और प्रेम प्रकाश पांडेय का शामिल होना भी सुर्खियों में रहा। चर्चा ये भी है कि चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ संगठन में विस्तार हो सकता है। सरकार को घेरने बीजेपी दो नए कार्यकारी अध्यक्ष बना सकती है। बदलाव की इस हलचल के बीच छत्तीसगढ़ संगठन के विरोधी खेमा का दिल्ली में होना भी सवाल खड़े कर रहा है। हालांकि बीजेपी नेता इस बार में कुछ भी खुल कर नहीं बोल रहे हैं, लेकिन कांग्रेस इस हलचल को बीजेपी में चेहरे की लडाई बता रही है।
इससे पहले बस्तर में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की उपस्थिति में 2002- 03 में हुई थी, जिसके बाद प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी थी। हालांकि चुनाव से पहले तत्कालीन गृह राज्य मंत्री चिन्मयानंद पर अजीत जोगी ने CRPF की तैनाती कर चुनाव में गड़बड़ी के आरोप लगाए थे। एक बार फिर बस्तर में चिंतन शिविर का आयोजन किया जा रहा है, लेकिन उससे पहले बीजेपी नेताओँ की दिल्ली दौड़ की वजह क्या है? क्या वाकई बीजेपी में कार्यकारी अध्यक्ष की सुगबुगाहट है? अगर ऐसा है तो कौन-कौन इसके दावेदार हैं? सवाल ये भी कि बस्तर मे आयोजित चिंतन शिविर में पार्टी की कमजोर कड़ियां दूर होंगी? जिससे सत्ता में उसकी वापसी हो सके।
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