शह मात The Big Debate: करप्शन को फांस..निशाने में पीएम आवास! क्या धांधली के सारे मामले कांग्रेस सरकार के दौर के हैं?
Chhattisgarh News: करप्शन को फांस..निशाने में पीएम आवास! क्या धांधली के सारे मामले कांग्रेस सरकार के दौर के हैं?
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- PM आवास योजना में 71 अपात्र हितग्राहियों को लाभ और ₹4.5 करोड़ का गलत भुगतान
- श्रम विभाग की योजनाओं में केवल 22% मजदूरों का पंजीकरण और अधूरी सहायता योजनाएं
- रिपोर्ट पर कांग्रेस-बीजेपी में आरोप-प्रत्यारोप, कार्रवाई पर सवाल
रायपुर: Chhattisgarh News हाल में पेश कैग रिपोर्ट में साल 2022-23 वित्तीय वर्ष में गरीबों के आशियाने से जुड़ी, PM आवास योजना और श्रम विभाग की मजदूर कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन की असलियत सामने ला दी गई हैै…भ्रष्टाचार, मॉनिटरिंग की कमी, अपात्रों को लाभ जैसे कई लीकेज सामने आए हैं। जाहिर है रिपोर्ट आते ही कांग्रेस-बीजेपी में ब्लेम गेम का दौर चल पड़ा है। सवाल ये है कि, रिपोर्ट को असल मकसद जिम्मेदारों पर एक्शन और जरूरी सुधार होगा क्या?
Chhattisgarh News छग में पक्ष-विपक्ष में ये बहस है। हालिया पेश कैग रिपोर्ट पर है। जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना और असंगठित मजदूर कल्याण योजना पर श्रम विभाग की रिपोर्ट है। रिपोर्ट में कई खामियां उजागर हुईं। दिसंबर 2025 में वित्त मंत्री ने छग विधानसभा के पटल पर। 31 मार्च 2023 को समाप्त वित्तीय वर्ष की कैग रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट कांग्रेस शासनकाल की हैं। जिसे लेकर बीजेपी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए तंज कसा कि कांग्रेस और भ्रष्टाचार एक दूसरे के पर्याय हैं। मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि इसी मुद्दे पर। पूर्व मंत्री TS सिंहदेव ने पत्र लिखकर विभाग छोड़ दिया था।
2 आरोपों पर जवाब देते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने पलटवार में कहा कि, कांग्रेस काल में 2023 के अंत में 10 लाख PM आवास स्वीकृति किए थे। पहली किश्त के 25-25 हजार रुपए भी खाते में डलवाए थे। अब मौजूदा सरकार बताए कितने मकान स्वीकृत किए, कितने पैसे जारी किए।
पेश कैग रिपोर्ट के मुताबिक- (PM आवास पर) रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, प्रेम नगर में नियम विरुद्ध आवंटन हुआ, 3 लाख से ज्यादा आय वाले 71 हितग्राहियों को लाभ मिला, 250 हितग्राहियों की जमीन ही नहीं थी फिर भी 4.5 करोड़ का भुगतान हो गया, PMAY-शहरी और ग्रामीण में कोई कनेक्शन या समन्वय ना होने से 99 हितग्राहियों ने दोनों योजनाओं का अनुचित लाभ लिया,35 हितग्राही ने दो-दो बार लाभ लिया,योजना की निगरानी, गलत जियो टैगिंग और गलत मकानों की फोटो के इस्तेमाल का भी खुलासा हुआ।
इसी तरह श्रम विभाग की कैग ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक- सरकार असंगठित मजदूर कल्याण के लिए दिए गए 229 करोड़ में से 210 करोड़ रुपए ही कर पाई खर्च, संगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए करीब 45 करोड़ आवंटित हुआ जिसमें से सरकार सिर्फ 21.5 करोड़ ही खर्च कर पाई। असंगठित क्षेत्र में केवल 22% श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन हो सका,विवाह सहायता, साइकिल वितरण भी लगातार नहीं हो सका, अकेले रायपुर में 695 साइकिल 6 वर्षों में भी नहीं बांटी जा सकी।
अब सवाल ये है कि इस रिपोर्ट को सियासी आरोप-प्रत्यारोप कर साइड रख दिया जाएगा या फिर जिम्मेदारों पर एक्शन के साथ-साथ सबक लेकर मौजूदा दौर में निगरानी पूर्व खामियों पर काम किया जाएगा?

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