Asha Ram Netam Networth: आशाराम को लेकर कांकेर के मतदाताओं में निराशा.. कमजोर प्रत्याशी के बूते भाजपा कैसे जीतेगी उत्तर बस्तर?
आशाराम नेताम ने टिकट मिलने के बाद से ही अपना प्रचार-प्रसार इलाके में शुरू कर दिया था। प्रचार के लिए उनकी आईटी की टीम भी लगी हुई है बावजूद इसके उन्हें किसी तरह का समर्थन मिलता नजर नहीं आ रहा है।
aasharam netam networth
कांकेर : भाजपा ने इस बार कांकेर में बड़ा दांव खेला है। भाजपा ने बड़े नेताओं की अनदेखी करते हुए यहां से इस बार पूर्व जनपद सदस्य आशाराम नेताम को उम्मीदवार बनाया है। हालांकि इस बार जिस आक्रामक तरीके से कांग्रेस ने वापसी की है उस लिहाज से आशाराम की उम्मीदवारी को कमजोर आंका जा रहा है। इसकी एक वजह यह भी मानी जा रही है कि आशाराम नेताम 2015 में जनपद सदस्य के तौर पर भी निर्वाचित हुए थे लेकिन तब उनका कार्यकाल संतोषजनक नहीं था। ग्रामीण इलाके में प्रतिनिधित्व मिलने के बावजूद वहां बुनियादी समस्यायों का अम्बार है। ऐसे में मतदाताओं के बीच आशाराम को लेकर निराशा साफ़ नजर आ रही है।
नहीं मिल रहा जनसमर्थन
आशाराम नेताम ने टिकट मिलने के बाद से ही अपना प्रचार-प्रसार इलाके में शुरू कर दिया था। प्रचार के लिए उनकी आईटी की टीम भी लगी हुई है बावजूद इसके उन्हें किसी तरह का समर्थन मिलता नजर नहीं आ रहा है। उनकी सभाओं में न ही भीड़ उमड़ रही है और न ही क्षेत्र में पुराने विकास के दावें आम मतदाताओं के गले उतर रहा है।
महँगी पड़ सकती है बड़े नेताओं की अनदेखी
भाजपा के लिए इस बार उत्तर बस्तर कांकेर के सीट पर प्रत्याशी फ़ाइनल करना किसी चुनौती से कम नहीं था। यहाँ बड़ी संख्या में कई भाजपा नेताओं ने दावेदारी की थी। पुराने विधायक के खिलाफ कई बड़े नेताओं को उम्मीद थी कि भाजपा इस एंटी इंकम्बेंसी का बेहतर तरीके से उपयोग करते हुए वह कांकेर की सीट निकाल पाएंगे लेकिन आखिरी वक़्त में आशाराम जैसे कमजोर प्रत्याशी दिए जाने के बाद संगठन के भीतर भी अपने प्रत्याशी को लेकर उत्साह कम ही है। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि आशाराम कांग्रेस समेत अन्य आठ प्रत्याशियों के बीच कैसे अपनी चुनावी नैया पार लगा पाते है?
बात करे पिछले चुनाव यानी 2018 की तो यहाँ से कांग्रेस के शिशु पाल सोरी ने भाजपा के हीरा मरकाम को करीब 20 हजार वोटों के बड़े अंतर से मात दी थी। इसी तरह 2013 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस के शंकर ध्रुव ने भाजपा के संजय कोडोपी को 45 सौ से ज्यादा वोटों से हराया था। 2008 में यहाँ भाजपा को जरूर कामयाबी मिली थी और सुमित्रा मारकोले ने 17,503 वोटो के अंतर से कांग्रेस की डॉ प्रीती नेताम को पछाड़ दिया था। हालाँकि तब इस सीट के समीकरण अलग थे। भाजपा लगातार दो चुनावों में कांग्रेस से पिछड़ती रही है लेकिन इस बार भी आशाराम नेताम सरीखे प्रत्याशी की वजह से परिणामों में अंतर की उम्मीद कम ही नजर आ रहे है।
आय में होती रही है बढ़ोत्तरी
आशाराम नेताम ने निर्वाचन कार्यालय को अपने आय और सम्पति से जुड़ा ब्यौरा सौंपा है। जानकारी के मुताबिक़ आशाराम नेताम के वार्षिक आय में लगातार वृद्धि होती रही है। उपलब्ध दस्तावेजों के मुताबिक़ आशाराम नेताम की वार्षिक आय जहां 2019-20 में जहाँ 3 लाख 11 हजार के करीब थी तो वही मौजूदा वित्तीय वर्ष में यह बढ़कर 3 लाख 80 हजार से ज्यादा हो चुकी है। आशाराम के पास कैश इन हैण्ड 80 हजार रुपये है तो वही अलग-अलग बैंको में उनके 8 लाख 87 हजार रुपये से ज्यादा जमा है। आशाराम के पास टोयोटा इनोवा वहां भी है जिसकी बाजार कीमत करीब 12 लाख रुपये है।
देखें आशाराम नेताम की चल-अचल सम्पत्तियों का पूरा ब्यौरा
Asharam Netam Affidavit-1699282141 by ishare digital on Scribd
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