Minor Rape Victim Abortion: 21 हफ्ते के गर्भ से है नाबालिग, बिलासपुर हाईकोर्ट ने बलात्कार पीड़िता को दी गर्भपात की अनुमति

Pregnant minor rape victim abortion: हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग को 21 हफ्ते के गर्भ को खत्म करने की अनुमति कोर्ट ने दी है। HC की सिंगल बेंच ने कहा— गर्भपात नाबालिग की व्यक्तिगत इच्छा है, इसका सम्मान जरूरी है।

Minor Rape Victim Abortion: 21 हफ्ते के गर्भ से है नाबालिग, बिलासपुर हाईकोर्ट ने बलात्कार पीड़िता को दी गर्भपात की अनुमति

minor rape victim, image source: Johns Hopkins Medicine

Modified Date: December 2, 2025 / 04:47 pm IST
Published Date: December 2, 2025 4:40 pm IST
HIGHLIGHTS
  • मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट की धारा 3 के तहत अनुमति
  • गर्भपात कराना उसका निजी फैसला : HC
  • नाबालिग को 21 हफ्ते के गर्भ को खत्म करने की अनुमति

बिलासपुर: Pregnant minor rape victim abortion बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता को 21 सप्ताह का गर्भ समाप्त कराने की परमिशन दे दी है। मामले को लेकर हाईकोर्ट ने कहा- कि ऐसा न करने पर उसकी शारीरिक अखंडता के अधिकार का उल्लंघन होगा, उसके मानसिक आघात में वृद्धि होगी तथा उसके शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और मानसिक स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा।

हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग को 21 हफ्ते के गर्भ को खत्म करने की अनुमति कोर्ट ने दी है। HC की सिंगल बेंच ने कहा— गर्भपात नाबालिग की व्यक्तिगत इच्छा है, इसका सम्मान जरूरी है। सीएमएचओ और विशेषज्ञ डॉक्टरों की जांच रिपोर्ट के बाद कोर्ट ने मेडिकल सुपरविजन में गर्भपात का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा— अनचाहा गर्भ जारी रखना पीड़िता के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन होगा।

मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट की धारा 3 के तहत अनुमति

Pregnant minor rape victim abortion मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट की धारा 3 के तहत अनुमति दी गई। डॉक्टरों की टीम की मौजूदगी में पीड़िता का गर्भपात कराया जाएगा। जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू ने कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं है कि याचिकाकर्ता जबरन यौन संबंध बलात्कार की शिकार है। वह गर्भपात कराना चाहती है, क्योंकि वह बलात्कारी के बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती।

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गर्भपात कराना उसका निजी फैसला है, जिसका न्यायालय को सम्मान करना चाहिए क्योंकि यह उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक पहलू है। जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय ने सुचिता श्रीवास्तव सुप्रा मामले में कहा है। गर्भावस्था जारी रखने से उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर खतरा हो सकता है।

कोर्ट ने आगे कहा कि यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए और यह अजन्मे बच्चे के लिए और भी अधिक खतरनाक हो सकता है। उसे गर्भपात की अनुमति दी गई है।

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लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com