छत्तीसगढ़ : प्रशासन से बेदखली का नोटिस मिलने के बाद गांव के 80 परिवार कर रहे विरोध प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ : प्रशासन से बेदखली का नोटिस मिलने के बाद गांव के 80 परिवार कर रहे विरोध प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ : प्रशासन से बेदखली का नोटिस मिलने के बाद गांव के 80 परिवार कर रहे विरोध प्रदर्शन
Modified Date: June 3, 2025 / 11:15 pm IST
Published Date: June 3, 2025 11:15 pm IST

रायपुर, तीन जून (भाषा) छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सम्मानपुर (नकटी) गांव के 80 से अधिक परिवार प्रशासन से बेदखली का नोटिस मिलने के बाद पिछले 10 दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि राज्य सरकार ने उनके पूर्वजों की जमीन पर विधायकों के लिए कॉलोनी बनाने का फैसला किया है, इसलिए उन्हें हटाया जा रहा है। हालांकि प्रशासन ने इसकी पुष्टि नहीं की है।

स्थानीय प्रशासन का कहना है कि ग्रामीणों ने गांव की बड़ी जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया है, इसलिए उन्हें नोटिस जारी किया गया है।

 ⁠

ग्रामीणों के मुताबिक ‘शामिलात चारागाह’ (चारागाह के लिए आरक्षित भूमि) के रूप में वर्गीकृत भूमि उनके पूर्वजों की थी और वहां बने घरों में से लगभग 30 घर प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत बनाए गए हैं।

नकटी गांव के ग्रामीण (जिनमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं) अपने हाथों में लाठी लेकर पिछले 10 दिनों से प्रतिदिन सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक गांव के एक सामुदायिक हॉल में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

नकटी गांव राजधानी रायपुर के बाहरी इलाके में स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डे के करीब स्थित है। गांव के अधिकांश लोग दिहाड़ी मजदूर हैं।

गांव के एक व्यक्ति रोशन साहू ने मंगलवार को बताया कि इस वर्ष 17 अप्रैल को रायपुर के तहसीलदार ने गांव के बाहरी इलाके भाटापारा में रहने वाले लगभग 85 परिवारों को बेदखली का नोटिस दिया था।

साहू ने बताया कि नोटिस में कहा गया है कि रायपुर जिले के नकटी गांव में खसरा नंबर 460 की 15.4790 हेक्टेयर (करीब 38 एकड़) जमीन पर नकटी ग्राम पंचायत में रहने वाले अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर लिया है। साहू ने बताया कि अतिक्रमणकारियों को जमीन से बेदखल करने का आदेश इस (तहसीलदार) अदालत ने 11 अप्रैल 2025 को भू-राजस्व संहिता 195 की धारा 248 के तहत पारित किया है। साहू ने बताया कि नोटिस में कब्जेदारों से जमीन छोड़ने को कहा गया है। साहू ने बताया कि नोटिस में कहा गया है कि ऐसा न करने पर बलपूर्वक अतिक्रमण हटा दिया जाएगा।

साहू ने कहा, ”खसरा नंबर 460 पर 38 एकड़ जमीन सरकारी नहीं है और इसे भूमि रिकॉर्ड में शामिलात चारागाह के रूप में वर्गीकृत किया गया है। हमारे पूर्वज इसके मालिक हैं। मालिकों के नाम अभी भी भूमि रिकॉर्ड में दर्ज हैं। 1940 से हमारे पूर्वज इसके मालिक हैं।”

उन्होंने कहा, ”जिस जमीन का मालिकाना हक हमारे पूर्वजों के पास था, उसे उन्होंने आम चरागाह के रूप में इस्तेमाल करने के लिए (कई दशक पहले) दिया था। क्योंकि तब गांव में इसकी जरूरत थी। जब परिवार के सदस्यों के लिए जमीन की आवश्यकता पड़ी, तब ग्राम सभा ने इस जमीन को जरूरतमंद स्थानीय निवासियों के बीच वितरित करने का फैसला किया।”

साहू ने कहा कि जिन लोगों ने यहां घर बनाए हैं, उनमें उन लोगों के वंशज भी शामिल हैं जो इस जमीन के मालिक थे। उन्होंने कहा कि पिछले 35-40 वर्षों में गांव के लगभग 85 परिवार इस जमीन पर आकर बस गए। उन्होंने कहा कि इनमें से करीब 30 घर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि वहीं लगभग 10 घरों का निर्माण इस योजना के तहत किया जा रहा था, बेदखली की नोटिस देने के बाद प्रशासन ने इन पर रोक लगा दी।

साहू ने बताया कि इलाके में सरकार ने बिजली की लाइन बिछाई हैं और गांव में दो ओवरहेड प्लास्टिक टैंक बनाकर जल जीवन मिशन के तहत नल से पानी के कनेक्शन लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि इलाके में विभिन्न सुविधाएं प्रदान करने के लिए कई लाख रुपये खर्च करने के बाद, सरकार अब यहां के निवासियों को अतिक्रमणकारी बता रही है।

उन्होंने दावा किया कि जब उन्होंने स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन से संपर्क किया, तब उन्होंने कहा कि जमीन का इस्तेमाल विधायक कॉलोनी के निर्माण के लिए किया जाएगा।

साहू (32) ने कहा कि उनका जन्म इसी जमीन पर बने घर में हुआ था और वह जन्म से ही अपने परिवार के साथ वहीं रह रहे हैं।

यहां आंदोलनरत लोगों में 36 वर्षीय महिला सोनी यादव भी है। यादव के तीन बच्चे हैं, वह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने अपने घर के सामने खड़ी थीं। यादव कहती हैं, ”हम अपनी जान देने के लिए तैयार हैं, लेकिन अपनी पुश्तैनी जमीन नहीं छोड़ेंगे।”

सम्मानपुर (नकटी) ग्राम पंचायत के नवनिर्वाचित सरपंच 48 वर्षीय बिहारी यादव ने बताया कि गांव की आबादी करीब 2500 है। उन्होंने बताया कि 85 परिवार जिनमें लगभग 350 सदस्य शामिल हैं, को सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने के आरोप में तहसीलदार से बेदखली का नोटिस मिला है, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है।

यादव ने बताया कि यह परिवार यहां 30-40 साल से रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि अतिक्रमण के लिए पहला नोटिस 2023 में दिया गया था जब एक व्यक्ति क्षेत्र में अपनी जमीन के लिए रास्ता चाहता था और बाद में उसे उसकी जमीन तक रास्ता दे दिया गया था, लेकिन अब इसके आधार पर सरकार इन ग्रामीणों को बेदखल करना चाहती है।

उन्होंने कहा कि जब क्षेत्र में विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत सुविधाएं स्वीकृत की गईं तब सरकार क्यों नहीं जागी।

रायपुर कलेक्टर गौरव सिंह ने बताया कि ग्रामीणों को अतिक्रमण के संबंध में नोटिस जारी करके उनका जवाब मांगा गया था, वे सक्षम प्राधिकारी के सामने पेश नहीं हुए जिसके बाद उन्हें बेदखली का नोटिस दिया गया। उन्होंने कहा कि वे नोटिस के खिलाफ एसडीएम अदालत जैसे उच्च प्राधिकारी का रुख कर सकते हैं। सिंह ने कहा कि नियमों के अनुसार ही कार्रवाई की जाएगी।

अधिकारियों के अनुसार, स्थानीय ग्रामीणों और दूसरे गांवों से आए उनके कुछ रिश्तेदारों ने पिछले 10-15 सालों में उस जमीन के करीब 15 एकड़ हिस्से पर अतिक्रमण कर लिया है। उन्होंने बताया कि करीब 77 परिवारों को बेदखली के नोटिस जारी किए गए हैं।

भाषा संजीव अमित

अमित


लेखक के बारे में