CG High Court on Unnatural Sex: पत्नी के साथ अननेचुरल सेक्स को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नहीं माना अपराध, कहा- पति को तत्काल करो जेल से रिहा

पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नहीं माना अपराध, Chhattisgarh High Court did not consider unnatural sex with wife crime

CG High Court on Unnatural Sex: पत्नी के साथ अननेचुरल सेक्स को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नहीं माना अपराध, कहा- पति को तत्काल करो जेल से रिहा

CG High Court on Unnatural Sex. Image Source-IBC24 Archive

Modified Date: February 12, 2025 / 03:41 pm IST
Published Date: February 12, 2025 3:15 pm IST

बिलासपुरः CG High Court on Unnatural Sex छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अप्राकृतिक यौन संबंध (अननेचुरल सेक्स) पर फैसला एक अहम सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर पत्नी की उम्र 15 वर्ष से कम नहीं है, तो पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ किए गए किसी भी यौन कृत्य को इन परिस्थितियों में रेप नहीं कहा जा सकता है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने आरोपी को आरोपों से बरी कर दिया और जेल हिरासत से तत्काल रिहा करने का आदेश भी दिया।

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CG High Court on Unnatural Sex दरअसल, 11 दिसंबर 2017 की रात एक शख्स ने अपनी पत्नी के साथ उसकी इच्छा के खिलाफ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए. इसके बाद महिला को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. बाद में महिला की मौत हो गई. मृत्यु से पहले दिए गए अपने बयान में उसने कहा कि उस व्यक्ति ने उसके साथ जबरदस्ती यौन संबंध बनाए. बाद में, डॉक्टरों ने बताया कि महिला की मौत पेरिटोनिटिस और Rectal Perforation के कारण हुई. इस मामले पर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश नरेंद्र कुमार व्यास की एकल पीठ ने कहा कि यौन संबंध या अप्राकृतिक संभोग में पत्नी की सहमति को महत्वहीन माना जाता है। पीठ ने कहा कि इस प्रकार यह स्पष्ट है कि यदि पत्नी की आयु 15 वर्ष से कम नहीं है, तो पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ किया गया कोई भी यौन संबंध इन परिस्थितियों में बलात्कार नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने कहा क्योंकि अननेचुरल सेक्स के लिए पत्नी की सहमति का ना होना अपना महत्व खो देता है, इसलिए इस कोर्ट की यह राय है कि अपील करने वाले के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और 377 के तहत अपराध नहीं बनता है।

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कोर्ट में कहा गया कि आईपीसी की धारा 375 की परिभाषा के अनुसार अपराधी को पुरुष के रूप में वर्गीकृत किया गया है। मगर इस केस में अपील करने वाला एक पति है और पीड़िता एक महिला ना होकर एक पत्नी है। और शरीर के जिन हिस्सों का उपयोग शारीरिक संभोग के लिए किया जाता है, वे भी सामान्य हैं। इसलिए, पति और पत्नी के बीच अपराध को आईपीसी की धारा 375 के तहत नहीं माना जा सकता है।


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