धमतरीः दिव्यांग होना अभिशाप नहीं है, पर समाज में ऐसे व्यक्तियों को अक्सर बोझ समझा जाता है, या फिर उन्हें दया की नजर से देखा जाता है। इसके बावजूद कई ऐसे दिव्यांग पुरुष और महिलाएं हैं, जिन्होंने न सिर्फ खुद के लिए एक मुकाम हासिल किया, बल्कि समाज के लिए भी संदेश दिया। आज हम ऐसे शख्स के बारे में आपको बताने जा रहे है, जिन्होंने दूसरों के लिए मिसाल पेश किया है।
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धमतरी जिले के भेंडसर गांव के रहने वाले पुष्पेंद्र साहू दिखने में सामान्य बच्चे जैसा है। लेकिन इसके दोनों हाथों के पंजे में एक भी अंगुलियां नहीं है। फिर भी पुष्पेंद्र की दिनचर्चा किसी आम बच्चे जैसे ही है। अपना सभी काम वो खुद ही करता है। वो रोजना 10 किलोमीटर साइकिल चलाकर धमतरी जिले के भेंडसर से भखारा जाता है। दिव्यांग पुष्पेंद्र का कहना है कि थोड़ी तकलीफ जरूर होता है। लेकिन दूसरों पर निर्भर नहीं होना चाहिए।
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पुष्पेंद्र के परिजन और ग्रामीण उसके हौसले की तारीफ करते हैं। कहते हैं कि अगर हौसले बुलंद हो तो हर चीज मुमकिन है। पुष्पेंद्र ने ये साबित कर दिया है।