Divyang Pushendra set an example for others

दिव्यांग पुषेंद्र ने पेश की मिसाल, जन्म से नहीं है हाथ-पैर में पंजे, फिर भी रोज 10 किमी साइकिल चलाकर जाता है स्कूल

दिव्यांग पुषेंद्र ने पेश की मिसाल, जन्म से नहीं है हाथ-पैर में पंजेः Divyang Pushendra set an example for others

दिव्यांग पुषेंद्र ने पेश की मिसाल, जन्म से नहीं है हाथ-पैर में पंजे, फिर भी रोज 10 किमी साइकिल चलाकर जाता है स्कूल
Modified Date: November 29, 2022 / 07:49 pm IST
Published Date: August 4, 2022 11:19 pm IST

धमतरीः दिव्यांग होना अभिशाप नहीं है, पर समाज में ऐसे व्यक्तियों को अक्सर बोझ समझा जाता है, या फिर उन्हें दया की नजर से देखा जाता है। इसके बावजूद कई ऐसे दिव्यांग पुरुष और महिलाएं हैं, जिन्होंने न सिर्फ खुद के लिए एक मुकाम हासिल किया, बल्कि समाज के लिए भी संदेश दिया। आज हम ऐसे शख्स के बारे में आपको बताने जा रहे है, जिन्होंने दूसरों के लिए मिसाल पेश किया है।

Read more :  सनी लियोनी को लेकर हनी सिंह ने भरी महफिल में कह दी थी ये बात, सुनकर शर्म से लाल हो गई थी एक्ट्रेस 

धमतरी जिले के भेंडसर गांव के रहने वाले पुष्पेंद्र साहू दिखने में सामान्य बच्चे जैसा है। लेकिन इसके दोनों हाथों के पंजे में एक भी अंगुलियां नहीं है। फिर भी पुष्पेंद्र की दिनचर्चा किसी आम बच्चे जैसे ही है। अपना सभी काम वो खुद ही करता है। वो रोजना 10 किलोमीटर साइकिल चलाकर धमतरी जिले के भेंडसर से भखारा जाता है। दिव्यांग पुष्पेंद्र का कहना है कि थोड़ी तकलीफ जरूर होता है। लेकिन दूसरों पर निर्भर नहीं होना चाहिए।

Read more : CUET EXAM : स्थगित हुई ग्रेजुएशन परीक्षा, इस वजह से लिया गया फैसला, जानिए अब कब होंगे एग्जाम 

पुष्पेंद्र के परिजन और ग्रामीण उसके हौसले की तारीफ करते हैं। कहते हैं कि अगर हौसले बुलंद हो तो हर चीज मुमकिन है। पुष्पेंद्र ने ये साबित कर दिया है।

लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।