रिपोर्ट- धीरज दुबे, कोरबा: Doctor Remove Patient’s kidney यहां से किडनी चोरी का ऐसा मामला सामने आया है जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। पथरी का ऑपरेशन कराना किसी को कितना भारी पड़ सकता है ये कोरबा के संतोष से पूछिए। पथरी से निजात पाने उसने ऑपरेशन करवाया था। लेकिन ऑपेरशन के कुछ ही दिन बाद उसे फिर से पेट में तकलीफ शुरू हुई, तो उसने सोनोग्राफी करवाई। रिपोर्ट में सामने आया की उसकी एक किडनी ही गायब है। मामले का खुलासा हुआ तो पता चला ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर की MBBS की डिग्री ही फर्जी है। फर्जी डॉक्टर मुन्ना भाई की तरह पिछले 11 साल तक मरीजों का इलाज करता रहा। इस किडनी कांड के सामने आने के बाद कोरबा से लेकर रायपुर तक स्वास्थ्य विभाग को हिला कर रख दिया है ।
Doctor Remove Patient’s kidney ये है कोरबा का संतोष गुप्ता। करीब 10 पहले पथरी की शिकायत लेकर सृष्टि हॉस्पिटल पहुंचा, सोचा था ऑपरेशन होगा और पथरी की समस्या से निजात मिल जाएगा। ऑपरेशन हुआ डॉक्टर ने बोला अब पथरी की समस्या खत्म हो गई। लेकिन संतोष को क्या पता था कि ऑपरेशन का दर्द उसे सालों साल तक झेलना होगा। संतोष ने ऑपरेशन के कुछ दिन बाद पेट में कुछ तकलीफ होने की शिकायत पर सोनोग्राफी कराया, तो पता चला कि उसकी एक किडनी गायब है।
दरअसल डॉक्टर ने संतोष के पथरी का ऑपरेशन कर उसकी किडनी निकाल ली। जब ये बात संतोष को पता चला तो वो टूट गया और उसने कलेक्टर से लेकर स्वास्थ्य विभा और मुख्यमंत्री तक सभी से इंसाफ के लिए गुहार लगाई, मगर हर जगह केवल निराशा हाथ लगी। 10 साल बीत गए कही से भी कोई सहयोग नहीं मिला। पैसे से कमजोर संतोष पिछले 10 सालों से इंसाफ के लिए भटकता रहा था।
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जिले में कलेक्टर रानू साहू आई तो संतोष की आस जागी की कहीं इस बार उसको इंसाफ जरूर मिलेगा। संतोष लगातार कलेक्टर से मिलने का प्रयास करता रहा जब मुलकात हुई तो उसने कलेक्टर से शिकायत की। संतोष ने कलेक्टर को बताया कि डॉ. एसएन यादव ने उसकी किडनी निकाल ली है। कलेक्टर रानू साहू को मिली शिकायत के बाद उन्होंने सीएमएचओ से मामले की जांच कराई जिसके बाद पता चला कि सृष्टि मेडिकल कालेज इंस्टीट्यूट के डॉक्टर एसएन यादव की एमबीबीएस की डिग्री फर्जी है औऱ वो मुन्ना भाई की तरह पिछले 11 साल तक अस्पताल में काम करता रहा और इस दौरान न जाने कितने आपरेशन उसने किए। ये जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। पुलिस ने डाक्टर यादव के खिलाफ धारा 419, 420 के तहत अपराध दर्ज कर लिया है। संदेह तो है ये भी है कि जिस तरह अंधेरे में रखकर संतोष गुप्ता की किडनी निकाली गई। क्या और भी लोगों की किडनी चोरी की गई है?
जांच की जिम्मेदारी सीएमएचओ को सौंपी गई थी। दस साल बाद अब जाकर छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसलर ने ये स्पष्ट किया कि डाक्टर एसएन यादव ने जिस एमबीबीएस और मास्टर आफ सर्जन डिग्री का प्रमाण पत्र सृष्टि में जमा किया था, वो फर्जी है। पुलिस का दावा है कि किडनी चोरी का मामला अब जांच का विषय है, जिसमें विवेचना जारी है। सृष्टि मेडिकल प्रबंधन का कहना है कि डाक्टर यादव को दो साल पहले ही हटा दिया गया है। गंभीर बात ये है कि अभी तक रजगामार रोड में हाल ही में शुरू हुए एक नर्सिंग होम में बतौर डाक्टर अपनी सेवाएं दे रहा था। सर्टिफिकेट के फर्जी होने का मामला सामने आने के बाद मोबाइल बंद कर फरार हो गया है। इसके लिए न केवल डाक्टर ही दोषी है, बल्कि अस्पताल प्रबंधन भी उतना ही जिम्मेदार है।
जिस तरह अंधेरे में रखकर संतोष गुप्ता की किडनी निकाली गई। ऐसे में सवाल ये कि क्या और भी लोगों की किडनी चोरी की गई है? इससे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि जिले में कहीं मानव अंग के तस्करी का रैकेट तो नहीं चल रहा? सवाल ये भी कि फर्जी डिग्री वाले डॉक्टर पर स्वास्थ्य विभाग की नजर क्यों नहीं पड़ी? सच क्या ये तो अब पुलिस कार्रवाई के बाद ही पता चलेगा।