Chhattisgarh liquor scam | Photo Credit: IBC24
रायपुर: Chhattisgarh liquor scam प्रदेश के बड़े शराब घोटाले में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की। घोटाले की शराब नए सुरूर में सियासत छापे, धरपकड़ और बरामदगी के लंबे सिलसिले के बाद इस बार निलंबन का अस्त्र चला और ऐसा चला कि 22 अफसर नप गए। अधिकारियों पर एक साथ गाज गिरी है तो जाहिर है, कितनों की घिग्गी बंध गई होगी। क्योंकि क्या पता अगला नंबर उनका न लग जाए। कांग्रेस का कहना है कि नेताओं पर बस ना चला तो सरकार ने अफसरों की गर्दन पकड़ ली। जबकि सरकार का ये दावा है कि इस कार्रवाई ने घोटालेबाजी की कमर तोड़ दी है। एक तरफ एक्शन दूसरी ओर पॉलिटिक्स और इस बीच कई एजेंडे फिक्स सवाल है जो इस कवायद का ऐंड रिजल्ट क्या है? क्या घोटाले की शराब, का पूरा सच सामने आने वाला है या आजाद मछलियों को पकड़ने के लिए नए और महीन जाल बुनने की जरूरत है ?
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Chhattisgarh liquor scam छत्तीसगढ़ में किसी भी विभाग में अब तक के सबसे बड़े एक्शन पर ये है पक्ष और विपक्ष का रिएक्शन सरकार का दावा है कि, ED जांच कर रही है, कोई नहीं बख्शा जाएगा, तो विपक्ष कहता है कि, कांग्रेस को बदनाम करने छापे डाले, फिर जेल में डाला अब कोई नहीं मिला तो अफसरों पर एक्शन लिया जा रहा।
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दरअसल, छत्तीसगढ़ में हुए 32 सौ करोड़ के शराब घोटाले की 3 विभागों- ED, EOW और IT यानि आयकर विभाग ने जांच की, 2019 में ED ने FIR दर्ज कराई, घोटाले में IAS अधिकारी, अनिल टुटेजा समेत, अनवर ढ़ेबर, अरूणपति त्रिपाठी जैसे बड़े नामों के बाद, अह जिला आबकारी अधिकारी और जिला आबकारी उपायुक्त स्तर के 22 अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया है। इन अफसरों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश हो चुका है। सस्पेंशन ऑडर जारी हुआ तो चंद मिनिटों में इनकी जगह नई पोस्टिंग का ऑर्डर भी आ गया। बीजेपी का दावा है कि, जरूरत पड़ी तो सभी को टर्मिनेट कर जेल तक भेजा जाएगा।
इधर, रायपुर आबकारी अधिकारियों पर करवाई पर बिफरी कांग्रेस का कहना है कि ये सब सरकार के दबाव में हो रहा है, आरोप लगाया कि ED, IT और अन्य एजेंसियां सरकार के इशारों पर काम कर रही हैं।
25 साल के प्रदेश के इतिहास में इस सबसे बड़े विभागीय एक्शन पर हड़कंप स्वाभाविक है, बीजेपी का मैसेज क्लीयर है। सुशासन वाली साय सरकार, करप्शन पर नो टॉलरेंस नीति का उदाहरण बनना चाहती है, लेकिन विपक्ष को ये रास नहीं आ रहा है वो इसे कोरी सियासत और विपक्ष पर बेवजह का दवाब बनाए रखने का षड़यंत्र करार दे रहा है। सवाल ये है कि, लंबी जांच और पूरी प्रक्रिया के बाद भी क्या विपक्ष का आरोप लगाना उचित है?