CG Vidhan Sabha Monsoon Session: सदन में गूंजा पटवारी से राजस्व निरीक्षक बनने का मुद्दा, विधायक राजेश मूणत के सवाल पर विपक्ष ने किया हंगामा
CG Vidhan Sabha Monsoon Session: छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र की करवाई जब दोबारा शुरू हुई तो विधायक राजेश मूणत के सवाल पर जमकर हंगामा
CG Vidhan Sabha Monsoon Session/Image Credit: IBC24 File Photo
- छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र का आगाज हो चूका है।
- विधानसभा के मानसून सत्र का आगाज हंगामेदार रहा।
- राजेश मूणत के सवाल पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया है।
रायपुर: CG Vidhan Sabha Monsoon Session: छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र का आगाज ही हंगामेदार रहा। आज जब विधानसभा की कार्रवाई शुरू हुई तो छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल डॉक्टर शेखर दत्त और अविभाजित मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह के निधन पर श्रद्धांजलि दी गई और 10 मिनट के लिए कार्रवाई स्थगित कर दी गई। करवाई जब दोबारा शुरू हुई तो सत्ता पक्ष के विधायक राजेश मूणत के लगाए सवाल पर जमकर हंगामा हुआ।
विधायक राजेश मूणत ने उठाया पटवारी से राजस्व निरीक्षक बनने का मामला
CG Vidhan Sabha Monsoon Session: राजेश मूणत ने राजस्व विभाग के अंतर्गत पटवारी से राजस्व निरीक्षक बनने के लिए आयोजित विभागीय परीक्षा में हुए भ्रष्टाचार का मामला उठाया और सवाल किया कि जब सचिव स्तरीय कमेटी बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की पुष्टि कर चुकी थी तो फिर इसमें कार्रवाई क्यों नहीं की गई। गृह विभाग ने जब कहा कि, राजस्व विभाग एफआईआर करने में सक्षम है, तो एफआईआर कराने की बजाय इसे ईओडब्ल्यू से जांच के लिए क्यों सोपा गया। उन्होंने कहा कि यह पूर्व सरकार के भ्रष्टाचार का मामला है। इसमें कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। राजेश मूणत के आरोप पर सदन में मौजूद विपक्षी विधायक आक्रोशित हो गए। सदन में मौजूद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सवाल पूछा कि, इसकी परीक्षा कब आयोजित हुई।
विपक्ष ने किया हंगामा
CG Vidhan Sabha Monsoon Session: मंत्री टैंक राम वर्मा ने जवाब दिया, जनवरी 2024 में। बस इसी के बाद विपक्षी विधायकों ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि यह पूरा भ्रष्टाचार बीजेपी सरकार के समय का है और दोषियों को बचाने के लिए मामले को एक विभाग से दूसरे विभाग में घुमाया जा रहा है। उन्होंने इस पूरे मामले की सीबीआई जांच करने की मांग तक कर दी। चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के विधायक अजय चंद्राकर ने भी सवाल किया कि पत्र एसीबी अथवा ईओडब्ल्यू से जांच करने के लिए लिखा गया था फिर, ईओडब्ल्यू से जांच करने का फैसला किसने लिया। क्योंकि ईओडब्ल्यू जांच करने का अधिकार सिर्फ मुख्यमंत्री को है। पक्ष और विपक्ष के सवालों से घिरे राजस्व मंत्री ने घोषणा की कि अगला सत्र शुरू होने से पहले ईओडब्ल्यू से जांच कर कर इसमें कार्रवाई कर दी जाएगी।

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